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सोशल मीडिया कंपनियों के लिए सुरक्षा मानदंड सख्त करेगी सरकार, सेफ हार्बर की नई रूपरेखा हो रही तैयार

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सौरभ लेले
Last Updated- April 16, 2023 | 10:19 PM IST

सरकार अपनी प्रस्तावित डिजिटल इंडिया विधेयक के तहत सोशल मीडिया कंपनियों के साथ-साथ इंटरनेट बिचौलियों को प्रदान किए गए ‘सेफ हार्बर’ की रूपरेखा नए सिरे से तैयार कर रही है ताकि यूजर्स द्वारा सृजित गैरकानूनी सामग्री के लिए उनकी जवाबदेही बढ़ाई जा सके। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि डिजिटल इंडिया विधेयक के कानून बनने के बाद ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपयोगकर्ताओं की पहचान आसानी से की जा सकेगी। यह कानून देश के मौजूदा प्राथमिक ​डिजिटल कानून सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, 2000 की जगह लेगा। शुरुआती चर्चा के अनुसार, सरकार गैर-सत्यापित उपयोगकर्ताओं द्वारा पोस्ट की गई सामग्री के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को जिम्मेदार ठहराने संबंधी प्रावधानों पर विचार कर रही है।

अ​धिकारी ने कहा, ‘अ​धिकतर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के पास यूजर्स को सत्यापित करने का ढांचा पहले से ही मौजूद है। सत्यापित खातों से सृजित सामग्री की जिम्मेदारी उपयोगकर्ताओं की होगी।’ इसके साथ ही कानून प्रवर्तन एजेंसियां कहीं अ​धिक सक्रियता के साथ अवैध गतिविधियों वाले स्रोतों की पहचान करने में समर्थ होंगी।

इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय फिलहाल अन्य देशों में लागू इस तरह के कानूनों का अध्ययन कर रहा है। मंत्रालय यह देखने की को​शिश कर रहा है कि अन्य देशों में इस प्रकार की सामग्री के लिए ऑनलाइन बिचौलियों के दायित्वों को किस प्रकार परिभा​षित की गई है। सेफ हार्बर संबंधी बेहतरीन प्रथाओं को जरूरत पड़ने पर अपनाया जा सकता है।

अ​धिकारी ने कहा, ‘सेफ हार्बर का सिद्धांत नि​श्चित तौर पर बदल जाएगा। हमारा उद्देश्य बिल्कुल स्पष्ट है कि कोई जो भी कर रहा है उसके लिए उसे जिम्मेदार भी होना चाहिए। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उनकी कार्यक्षमताओं पर नियंत्रण होता है और इसलिए उन्हें जिम्मेदारी लेनी चाहिए।’

इस मामले से अवगत सूत्रों ने कहा कि ऑनलाइन बिचौलियों द्वारा सृजित अथवा प्रभावित सामग्री को अलग से चिह्नित करने की जरूरत होगी। एक व्य​क्ति ने कहा, ‘उस सामग्री के लिए कोई छूट नहीं होगी।’

आईटी अ​धिनियम की धारा 79 में कहा गया है कि किसी बिचौलिये द्वारा उपलब्ध कराए गए या होस्ट किए गए तीसरे पक्ष की जानकारी, डेटा या सूचना के लिए वह उत्तरदायी नहीं होगा। यह साझा की गई अवैध सामग्री के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को सेफ हार्बर अथवा सुरक्षा प्रदान करती है।

मंत्रालय ने पिछले महीने डिजिटल इंडिया अधिनियम के व्यापक सिद्धांतों पर उद्योग के हितधारकों, नीतिगत जानकारों और कानून विशेषज्ञों के साथ बातचीत का पहला दौर आयोजित किया था। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने हितधारकों से कहा था, ‘इंटरनेट पर मौजूद प्लेटफॉर्मों में व्यापक विविधता और जटिलता बढ़ रही है। ऐसे में सवाल उठना जायज है कि क्या उनके लिए कोई सेफ हार्बर होना चाहिए?’

मंत्री ने कहा कि मौजूदा स्थिति में, गुमनामी और प्लेटफॉर्म के मूक बिचौलिया होने के कारण अपराध और अवैध सामग्री के प्रसार से उपयोगकर्ता को नुकसान हो रहा है।
सरकार ने कई बार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को चेताया है कि यदि वे देश के कानूनों का पालन नहीं करेंगे तो उन्हें ऐसे सेफ हार्बर को खोना पड़ेगा। दुनिया भर की सरकारों ने हाल के दिनों में ऑनलाइन बिचौलियों की जिम्मेदारी सुनि​श्चित करने के लिए कानून में सख्ती की है। हाल में यूरोपीय संघ ने इस संबंध में एक डिजिटल सर्विसेज ऐक्ट पारित किया है। जून 2020 में फ्रांस में एविया बिल पारित किया गया था। जर्मनी में भी नेटवर्क एनफोर्समेंट ऐक्ट है।

First Published : April 16, 2023 | 7:57 PM IST