गूगल को राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील पंचाट (NCLAT) के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत से भी राहत नहीं मिल पाई। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में गूगल को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया।
NCLAT ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) द्वारा गूगल पर लगाए गए 1,337.76 करोड़ रुपये के जुर्माने को बरकरार रखा था, जिसके खिलाफ गूगल ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। CCI ने ऐंड्रॉयड उपकरण से संबंधित प्रतिस्पर्द्धा रोधी और अनुचित व्यापार व्यवहार के लिए गूगल पर यह जुर्माना लगाया था।
NCLAT को 31 मार्च तक मामले की सुनवाई पूरी करने का दिया निर्देश
अदालत ने कहा कि सीसीआई के निष्कर्षों पर सुनवाई के दौरान विचार नहीं किया जा सकता। मगर अदालत ने एनसीएलएटी को इस मामले की सुनवाई 31 मार्च तक पूरी करने का निर्देश दिया है। साथ ही उसने कहा कि गूगल CCI के निर्देशों का आंशिक तौर पर अनुपालन करने के लिए तैयार है, इसलिए उसे ऐसा करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया जाता है।
गूगल को CCI के आदेश का पालन करने के लिए एक हफ्ते का समय और मिल गया है। इसी दौरान उसे सीसीआई द्वारा लगाए गए जुर्माने का 10 फीसदी जमा करना होगा।
गूगल के रुख में कुछ नरमी दिख रही है। उसकी तरफ से अदालत में पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कंपनी सीसीआई के कुछ निर्देशों का पालन करने के लिए तैयार है।
अदालत ने कहा कि गूगल क्रोम में सर्च को गूगल प्ले से और क्रोम को सर्च से अलग करेगी। इसके अलावा वह विशिष्ट सर्च-ऐप प्री-इन्स्टॉलेशन पर भी आगे नहीं बढ़ेगी।
सीसीआई द्वारा गूगल पर 1,337.76 करोड़ रुपये के जुर्माने का है मामला
CCI ने 20 अक्टूबर, 2022 को गूगल पर ऐंड्रॉयड उपकरणों से संबंधित प्रतिस्पर्द्धा रोधी व्यवहार के लिए 1,337.76 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। सीसीआई ने कहा था कि गूगल ने विभिन्न बाजारों में ऐंड्रॉयड मोबाइल उपकरण तंत्र में अपने दबदबे का बेजा फायदा उठाया है और प्रतिस्पर्द्धा रोधी कानून की धारा 4 का उल्लंघन किया है।
सिंघवी ने अदालत को बताया कि ऐपल से उलट ऐंड्रॉयड 15,000 स्मार्टफोन मॉडलों पर चल सकता है। भारत में ही ऐसे 50 करोड़ डिवाइस हैं और दुनिया भर में ऐसे उपकरणों के 1,500 विनिर्माता हैं। मोबाइल ऐप्लिकेशन डिस्ट्रिब्यूशन एग्रीमेंट नियम के मुताबिक कई प्लेस्टोर रके जा सकते हैं। लोग कई ऐप इन्स्टॉल करते हैं और भारतीय सबसे ज्यादा डाउनलोड करते हैं।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने उनसे पूछा, ‘आप क्रोम पर क्यों जोर देते हैं? यदि आप बुके पर जोर देते हैं तो आप ओपन सोर्स गंवा देंगे। यह ग्राहकों को मिलने वाले विकल्पों को प्रभावित करता है।’
सिंघवी ने कहा कि गूगल अपनी उत्कृष्टता के दम पर यहां तक पहुंचा है, दबदबे की वजह से नहीं। सीसीआई के आदेश पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने कहा कि सीसीआई का तीसरा निर्देश बेहद आपत्तिजनक है। प्रतिस्पर्द्धी प्ले स्टोर के मालिक को मेरे प्ले स्टोर में घुसने की अनुमति देनी चाहिए। क्या सीसीआई इस तरह का निर्देश दे सकता है?
उद्योग के कई भागीदारों ने सीसीआई के आदेश पर सर्वोच्च न्यायालय के रुख की सराहना की है। शार्दूल अमरचंद मंगलदास ऐंड कंपनी में प्रतिस्पर्द्धा कानून प्रैक्टिस के पार्टनर नवल चोपड़ा ने कहा, ‘यह भारत और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा कानून के इतिहास में ऐतिहासिक निर्णय है। सीसीआई के तर्क पर अदालत ने विचार किया और माना कि अंतरिम स्तर पर सीसीआई के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है।’