Sharath Bulusu, Director, Product Management, Google Pay
पिछले महीने देश में किए गए सभी यूपीआई लेनदेन में से 37 प्रतिशत हिस्सेदारी गूगल पे की रही। हालांकि यूपीआई जैसे अधिकांश डिजिटल लेनदेन ग्राहकों के लिए निःशुल्क हैं लेकिन उनकी लागत फिनटेक फर्मों और बैंकों को उठानी पड़ती है। गूगल पे के निदेशक (उत्पाद प्रबंधन) शरत बुलुसु ने अजिंक्य कावले के साथ हुई वीडियो बातचीत में यूपीआई के लिए मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) की जरूरत, भारतीय भाषाओं पर कंपनी के ध्यान और क्रेडिट रणनीति के औचित्य पर चर्चा की।
लंबी अवधि में भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र हमारे देश जितने बड़े स्तर पर व्यावहारिक होना चाहिए। मुझे लगता है कि वाणिज्यिक रूप से व्यावहारिक कारोबार बनाने के लिए अच्छी तरह से विनियमित बाजार पर आधारित तंत्र होना महत्वपूर्ण है। हम इस पर बहस कर सकते हैं और ऐसा करने के विभिन्न तरीके निकाल सकते हैं।
भुगतान की दुनिया में सबसे सामान्य मॉडल एमडीआर है और इसमें कई तंत्रों का संयोजन हो सकता है। टिकाऊ कारोबार तैयार करने में सक्षम होने के लिए रास्ते बनाना महत्वपूर्ण है। यह पारिस्थितिकी तंत्र में जोखिम कम करने का एक और तरीका भी है। सभी कंपनियां उपभोक्ताओं और व्यापारियों की तरफ से भारी मात्रा में धन स्थानांतरित कर रही हैं। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वे नए उपयोग का समर्थन करने के लिए निवेश और नवाचार करना जारी रख सकें।
तंत्र में हर कोई को कुछ व्यवस्था की उम्मीद कर रहा है। एनपीसीआई इसे पहले ही लागू कर चुका है, जैसे यूपीआई से जुड़े क्रेडिट कार्डों के लिए। मैं इसके समय को लेकर अनुमान तो नहीं लगा सकता हूं, लेकिन ऐसा जरूर लगता है कि चीजें उस दिशा में बढ़ रही हैं, जो सही रास्ता है।
आखिरकार सरकार भी उस वृद्धि को सब्सिडी देना जारी नहीं रख सकती। वे इसे प्रोत्साहित कर सकते हैं और इसीलिए उन्हें प्रोत्साहन कहा जाता है। किसी ना किसी मोड़ पर तो आपको प्रोत्साहन बंद करने ही होंगे और सभी को बताना होगा कि इस व्यवस्था के ये नियम हैं, जिनका पालन करके कंपनियां यह तय कर सकती हैं कि उन्हें किस तरह का कारोबारी मॉडल अपनाना है।
कुछ हद तक हम अब भी यूपीआई के शुरुआती दौर में हैं और अब भी काफी वृद्धि हो सकती है। नवाचार और वृद्धि के लिए जगह बनाना शायद समय की सबसे जरूरी जरूरत है और इसे वॉल्यूम सीमित करके हल नहीं किया जा सकता है। हमें नई फिनटेक कंपनियों के लिए जगह बनानी होगी। इसे किसी ऐसी समस्या के तौर पर देखने के बजाय, जहां कोई सीमा हो, हम इसे नवाचार को बढ़ावा देने और अधिक कंपनियों को आगे आने में सक्षम बनाने के रूप में देखते हैं।
हमने ग्राहकों को दिए गए साउंडपॉड की संख्या सार्वजनिक रूप से साझा नहीं की है। लेकिन हमारा लक्ष्य अगले साल या उसके आसपास पूरे बाजार में साउंडपॉड की मौजूदगी को दोगुना से ज्यादा करना है।
हम भारतीय भाषाओं में भारी निवेश कर रहे हैं। उन्हें पूरी तरह से पूर्ण-विशेषता वाले तरीके से समर्थन देना और ज्यादा ग्राहकों को जोड़ने का एक तरीका है। गूगल के अलग-अलग ऐसे भाग हैं, जो अलग-अलग भाषाओं में सामग्री तैयार करने के लिए आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के इस्तेमाल में निवेश कर रहे हैं।