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पीएलआई योजना की होड़ में वैश्विक कंपनियां

Last Updated- December 15, 2022 | 4:02 AM IST

प्रख्यात मोबाइल डिवाइस निर्माताओं दक्षिण कोरियाई सैमसंग और ताईवान की मोबाइल फोन निर्माताओं पेगाट्रॉन, फॉक्सकॉन और विस्ट्रॉन ने वैश्विक कंपनियों के लिए पेश प्रोडक्टीविटी लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना में भागीदारी के लिए आवेदन किए हैं। ये वैश्विक कंपनियां भारत को मोबाइल फोन के लिए निर्माण-निर्यात केंद्र बनाना चाहती हैं। इस योजना में भागीदारी के लिए समय-सीमा शुक्रवार की रात समाप्त हो गई और इसके तहतपांच योग्य कंपनियों को ही चुना जाएगा। समान समूह की दो अलग अलग कंपनियां एक से ज्यादा आवेदन भी कर सकती हैं।
ताईवान की तीन कंपनियां पूरी दुनिया में ऐपल इंक के लिए मोबाइल फोन का निर्माण करती हैं। भारत में ऐपल इंक इनमें से दो को फोन निर्माण के लिए इस्तेमाल कर रही है। ये कंपनियां फॉक्सकॉन (अपनी कंपनी हॉन ई प्रसीजन इंडस्ट्रीज के जरिये) और विस्ट्रॉन हैं। स्वदेशी कंपनियों के लिए अलग पीएलआई योजना ने भी करीब आठ कंपनियों का ध्यान आकर्षित किया है जिनमें लावा मोबाइल्स भी शामिल है जबकि अन्य कंपनियों में माइक्रोमैक्स, कार्बोन, डिक्सन और ऑप्टीमस के शामिल होने की उम्मीद है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि चीन की दिग्गज बीआईडी ने भी इसके लिए आवेदन किया है। विदेशी कंपनियों के लिए पीएलआई योजना के तहत, वैश्विक निर्माताओं को पांच साल के लिए 4 से 6 प्रतिशत की रियायत मुहैया कराई जा रही है। विदेशी कंपनियों को चार वर्षों के दौरान 1000 करोड़ रुपये का निवेश करना होगा और उन्हें फोन की बिक्री करने की जरूरत होगी, जो योजना के पहले साल में न्यूनतम 4,000 करोड़ रुपये और चौथे वर्ष में 40,000 करोड़ रुपये होगी। हालांकि रियायत तभ्ज्ञी दी जाएगी जब निर्मित फोन की उत्पादन वैल्यू 200 डॉलर प्रति मोबाइल से ज्यादा हो।
घरेलू भारतीय कंपनियों के लिए पीएलआई योजना में भी समान प्रोत्साहन शामिल है, लेकिन इसमें चार वर्षों में निवेश सिर्फ 200 करोड़ रुपये और पहले साल में न्यूनतम 100 करोड़ रुपये (पांचवे वर्ष में 3,000 करोड़ रुपये तक हो सकती है) की उत्पादन वैल्यू है।

First Published - August 1, 2020 | 1:01 AM IST

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