रिलायंस कैपिटल की परिसंपत्तियों के लिए कमजोर प्रतिक्रिया देखने को मिली है और इंडसइंड, टॉरंट, ओकट्री कैपिटल मैनेजमेंट और बी-राइट रियल एस्टेट ने पूरी कंपनी के तौर पर रिलायंस कैपिटल के लिए वित्तीय बोली लगाई है। सभी बोली 4,000 करोड़ रुपये के दायरे में है, जो बताता है कि अगर लेनदारों की समिति इसे मंजूर करती है तो बैंकों को भारी कटौती झेलनी होगी।
पीरामल एंटरप्राइजेज, ज्यूरिख इंश्योरेंस और एडवेंट इंटरनैशनल ने रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के लिए बोली लगाई है जबकि जीवन बीमा इकाई का कोई लिवाल नहीं दिखा है। बैंकिंग सूत्रों ने यह जानकारी दी।नवीन जिंदल के स्वामित्व वाली जिंदल स्टील ऐंड पावर और यूवी एआरसी ने रिलायंस कैपिटल के एआरसी कारोबार के लिए बोली जमा कराई है।
रिलायंस कैपिटल की अन्य मिश्रित परिसंपत्तियों के लिए तीन बोलीदाताओं च्वाइस इक्विटी, ग्लोबल फिनकैप और ग्रैंड भवन ने अपनी-अपनी बोली जमा कराई है।भारतीय जीवन बीमा निगम समेत कई लेनदारों ने रिलायंस कैपिटल पर 25,333 करोड़ रुपये का दावा पेश किया जब कंपनी को आईबीसी 2016 के तहत कर्ज समाधान के लिए भेजा गया। कंपनी व उसकी परिसंपत्तियों के लिए 54 फर्मों ने ईओआई के साथ दिलचस्पी दिखाई है लेकिन बोली की प्रकृति व संख्या रिलायंस कैपिटल की परिसंपत्तियों के लिए बोलीदाताओं की कमजोर प्रतिक्रिया को प्रतिबिंबित करता है। बैंकरों ने ये बातें कही।
रिलायंस कैपिटल की दो सहायक होम फाइनैंस व एनबीएफसी के खाते में 25,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज है। लेनदारों ने रिलायंस कमर्शियल फाइनैंस व रिलायंस हाउसिंग फाइनैंस की इक्विटी एक अलग ट्रस्ट में रखने का फैसला किया है। इसकी वजह यह है कि संभावित बोलीदाताओं को इन इकाइयों से नहीं जूझना होगा। ट्रस्ट का प्रस्तावित ढांचा सुनिश्चित करेगा कि मूल कंपनी के बोलीदाताओं को अतिरिक्त कर्ज से न जूझना पड़े।
प्रक्रिया की शुरुआत से ही आरकैप का समाधान नियामकीय अवरोध के साथ चल रहा है। आरकैप के विभिन्न कारोबारों के लिए अलग-अलग बोलीदाता की तरफ से कंसोर्टियम बनाने की पूर्वशर्त और नकदी में बोली लगाने की शर्त ने ज्यादातर बोलीदाताओं को दूर कर दिया। एलआईसी ने रिलायंस कैपिटल के 3,400 करोड़ रुपये के बॉन्ड बेचने की कोशिश की, लेकिन परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनियों के बीच कोई लिवाल नहीं मिला। इसके लिए अभिरुचि पत्र जमा कराने की तारीख खत्म हो गई। ये बॉन्ड 70 फीसदी छूट पर ट्रेड हो रहे हैं और एलआईसी ने इसके लिए दोबारा बोली मंगाई है।
कमजोर प्रतिक्रिया के बावजूद लेनदारों को उम्मीद है कि रिलायंस कैपिटल व उसकी सहायकों के 50,333 करोड़ रुपये के संयुक्त कर्ज का समाधान वित्त वर्ष के आखिर तक हो जाएगा। रिलायंस कैपिटल को भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले साल नवंबर में कर्ज समाधान के लिए भेजा था जब अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली कंपनी ने कर्ज के भुगतान में चूक की।