एफएमसीजी

FMCG सेक्टर में सितंबर तिमाही तक धीमी वृद्धि की आशंका

FMCG sector: दैनिक उपभोक्ता वस्तु क्षेत्र में सितंबर तिमाही तक धीमी वृद्धि रहने के आसार : कैंटार

Published by
अक्षरा श्रीवास्तव   
Last Updated- March 06, 2024 | 9:52 PM IST

देश के दैनिक उपभोक्ता वस्तु (एफएमसीजी) क्षेत्र में मौजूदा कैलेंडर वर्ष की सितंबर तिमाही तक धीमी वृद्धि दिखने के आसार हैं। कैंटार की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। कैंटार एफएमसीजी पल्स रिपोर्ट के अनुसार गेहूं के आटे के दम पर यह क्षेत्र साल 2023 की शुरुआत में चार प्रतिशत की दर से बढ़ रहा था। आटे में दो अंकों की वृद्धि के साथ यह क्षेत्र 6.1 प्रतिशत की दर से बढ़ता दिखा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि इस संयोजन से आटे को हटाने पर वृद्धि दर घटकर 2.7 प्रतिशत रह जाती है। संयोग से इस साल जनसंख्या वृद्धि दर भी 2.7 प्रतिशत है, जिसका मतलब है कि एफएमसीजी का वॉल्यूम पूरी तरह से जनसंख्या वृद्धि के आधार पर बढ़ा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2024 के दौरान साल के शुरुआती हिस्से में खपत में स्थिरता देखी जा सकती है, लेकिन साल के उत्तरार्ध में यह निरंतर सुधरती जाएगी। फर्म ने इस धीमी वृद्धि के लिए कई कारकों को जिम्मेदार ठहराया है।

इनमें वैश्विक मंदी, आगामी आम चुनावों का न्यूनतम प्रभाव और कृषि क्षेत्र पर अप्रत्याशित मौसम की स्थिति का दीर्घालिक प्रभाव शामिल है। अल-नीनो के असर की वजह से साल की पहली छमाही में मौसम शुष्क रहने की आशंका है। साल 2024 के लिए कृषि अनुमान मिलाजुला रहेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इसका असर खरीफ फसल की पैदावार पर पड़ता दिख रहा है। साल 2023-24 में कृषि की वृद्धि दर 1.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह सात साल का निचला स्तर है और इससे साल 2024 की पहली छमाही पर असर पड़ने के आसार हैं। रबी की बुआई में हालांकि कुछ बाधा आई है, लेकिन यह काफी बेहतर है। साल के मध्य तक अल-नीनो का असर भी कम होने की उम्मीद है, जिससे साल अब भी अच्छा हो सकता है, खास तौर पर दूसरी छमाही में।

हालांकि चिलचिलाती गर्मियों में बोतलबंद शीतल पेय, आइसक्रीम, सन स्क्रीन और यहां तक कि कपड़े धोने के उत्पादों जैसी श्रेणियों को कुछ हद तक मदद मिलने की उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अलबत्ता इन श्रेणियों में संयुक्त वृद्धि का संपूर्ण एफएमसीजी पर मामूली-सा असर पड़ेगा। शोध फर्म ने कहा कि साल 2023 के दौरान खपत में कुछ कमी देखी गई है और परिवारों की औसत घरेलू खरीद (बिना आटा ) 2022 के 117.2 किलोग्राम से गिरकर प्रति परिवार 117.1 किलोग्राम रह गई।

रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक महामारी के बाद यह लगातार दूसरा ऐसा साल है, जब औसत खरीद की मात्रा बढ़ने में विफल रही है। हालांकि समान समयावधि में खर्च 15,513 रुपये से बढ़कर 17,907 रुपये हो गया है। साल 2023 में एफएमसीजी खर्च में हुई 8.5 प्रतिशत की वृद्धि साल की औसत मुद्रास्फीति दर 5.7 प्रतिशत से अधिक है।

90 से अधिक श्रेणियों और उपश्रेणियों के कैंटार के विश्लेषण में से करीब 50 प्रतिशत की खपत या तो कम हो गई या फिर स्थिर रही। औसत खपत में सबसे बड़ी गिरावट खाना पकाने के तेल में देखी गई और साल 2022 की तुलना में साल 2023 के दौरान 1.4 लीटर कम तेल खरीदा गया। इसके बाद वाशिंग पाउडर का स्थान आता है, जिसमें प्रति परिवार 300 ग्राम की गिरावट आई। बासमती चावल में प्रति परिवार 180 ग्राम की गिरावट आई तथा नमक में 80 ग्राम की कमी आई।

First Published : March 6, 2024 | 9:52 PM IST