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वित्त वर्ष 2025 में सूचीबद्ध कंपनियों ने कर्मचारियों को 15,000 करोड़ रुपये से अधिक ESOP दिए

वित्त वर्ष 2025 में कंपनियों ने कर्मचारियों को ईसॉप देकर शेयर में स्वामित्व साझा किया, खर्च 30 फीसदी बढ़ा और स्टार्टअप व पारंपरिक कंपनियों ने योगदान बढ़ाया

Last Updated- October 02, 2025 | 10:12 PM IST
ESOP
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

सूचीबद्ध कंपनियों ने पिछले साल अपने कर्मचारियों को लगभग 15,000 करोड़ रुपये के ईसॉप दिए। ईसॉप के माध्यम से कंपनियां अपने कर्मचारियों को कंपनी में स्वामित्व साझा करती हैं। 

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2025 में इम्प्लॉयी स्टॉक विकल्प योजना (ईसॉप) के तहत खर्च की गई कुल राशि 30 फीसदी बढ़ी है जबकि इससे पिछले साल इसमें 19 फीसदी की वृद्धि हुई थी।

वित्त वर्ष 2025 में कंपनियों के एक सीमित नमूने का ईसॉप  पर कुल भुगतान लगभग 14,900 करोड़ रुपये रहा जो वित्त वर्ष 2024 में 11,461 करोड़ रुपये था।

बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सितंबर में ईसॉप मानदंडों में ढील दी थी, जिससे स्टार्टअप संस्थापकों को अपनी कंपनियों को सूचीबद्ध करने से एक साल पहले अवंटित ईसॉप को बनाए रखने की अनुमति मिल गई थी। उपलब्ध आंकड़े सीएमआईई द्वारा सूचीबद्ध कंपनी के खुलासे से जुटाए गए नकदी प्रवाह विवरणों पर आधारित हैं। इसमें वित्त वर्ष 2025 में 1,724 गैर-वित्तीय कंपनियों और वित्तीय क्षेत्र की 515 कंपनियों के आंकड़ों का नमूना शामिल है।

पिछले वित्त वर्ष के समूचे आंकड़ों में 3,867 गैर-वित्तीय और 989 वित्तीय कंपनियां शामिल थीं। सीएमआईई के अनुसार ईसॉप की संख्या लेखांकन दृष्टिकोण से ऐसी योजनाओं में शामिल कुल राशि का केवल एक हिस्सा हो सकती हैं। हालांकि वर्तमान संख्या पिछले वर्षों के पूर्ण नमूने से बड़ी है, जो मोटे तौर पर बढ़ती प्रवृत्ति का संकेत देती है।

वित्त वर्ष 2025 में गैर-वित्तीय कंपनियों का ईसॉप पर खर्च 34 फीसदी बढ़कर लगभग 9,326 करोड़ रुपये रहा जबकि वित्तीय फर्मों ने इसी अवधि में करीब 5,573 करोड़ रुपये के ईसॉप के भुगतान किए।

दिल्ली की कॉरपोरेट प्रोफेशनल्स में पार्टनर मोहिनी वार्ष्णेय ने कहा, ‘ कई मामलों में रूपांतरण मूल्य बाजार मूल्य से काफी कम होता है, जिसके कारण व्यय संख्या बढ़ सकती है।’

ईसॉप को बढ़ावा देने में स्टार्टअप कंपनियों का अहम योगदान रहा क्योंकि मुआवजा और कर्मचारियों को अपने साथ बनाए रखने के लिए ये फर्में ईसॉप का ज्यादा इस्तेमाल करती हैं। हालांकि विभिन्न क्षेत्रों की पारंपरिक कंपनियां भी अब ईसॉप का उपयोग करने लगी हैं। 

वार्ष्णेय के अनुसार पहले के उलट अब तेजी से मध्य स्तर के कर्मचारियों को ईसॉप दिए जा रहे हैं। पहले प्रमुख प्रबंधन को ही ईसॉप दिए जाते थे।

ईसॉप देने वाली कंपनियों में स्विगी और इटर्नल (जोमैटो) जैसे स्टार्टअप के साथ-साथ महिंद्रा ऐंड महिंद्रा, विप्रो और एचडीएफसी बैंक जैसी कंपनियां भी शामिल हैं।

सलाहकार फर्म इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर एडवाइजरी सर्विसेज इंडिया के संस्थापक और प्रबंध निदेशक अमित टंडन ने कहा, ‘पहले सिर्फ सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों और बैंकों में ईसॉप के मामले देखे जाते थे लेकिन अब यह अधिक व्यापक हो गया है।’

सभी प्रमुख उद्योगों में ईसॉप खर्च में वृद्धि देखी गई है। हालांकि वृद्धि की रफ्तार अलग-अलग है। 

First Published - October 2, 2025 | 10:06 PM IST

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