रिलायंस इंडस्ट्रीज निवेशकों से रकम जुटाने और अपने समूह का ऋण बोझ घटाने के लिए तीसरे इन्फ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट (इनविट) की तैयारी कर रही है। ऐसे में बैंकरों का कहना है कि इनविट भारतीय उद्योग जगत को न केवल ऋण बोझ घटाने और वित्तीय लागत को कम करने में मदद करता है बल्कि यह इनविट यूनिटधारकों को आकर्षक रिटर्न भी देता है। इन निवेशकों में मुख्य तौर पर लंबी अवधि के विदेशी निवेशक शामिल होते हैं।
एक बैंकर ने कहा, ‘यह दोनों पक्षों के लिए फायदे का सौदा है। भारतीय कंपनियों को अपनी पूरी हिस्सेदारी को बेचे बिना ऋण बोझ घटाने में मदद मिलती है जबकि यह यूनिटधारकों को परिसंपत्ति हासिल किए बिना अधिक रिटर्न हासिल करने का अवसर प्रदान करता है।’
वोडाफोन आइडिया, एनएचएआई और स्टरलाइट सहित कई अन्य भारतीय कंपनियां राजस्व सृजन करने वाली अपनी परिसंपत्तियों को बचाने के लिए इसी तरह की रणनीति पर काम कर रही हैं। निवेशक उच्च रिटर्न के लिए आकर्षित होते हैं और स्टॉक एक्सचेंज उन्हें अपने निवेश को भुनाने का विकल्प उपलब्ध कराता है।
ऋण समाधान पर कंपनियों को परामर्श सेवाएं उपलब्ध कराने वाले एक निवेश बैंकर ने कहा, ‘रिलायंस की गैस पाइपलाइन परियोजना और दूरसंचार टावर कारोबार के लिए पिछले दो इनविट की सफलता से पता चलता है कि अन्य कंपनियां भी अपना ऋण बोझ घटाने के लिए उसी रणनीति पर आगे बढ़ेंगी।’ आरआईएल द्वारा लॉन्च किए गए पिछले दो इनविट में कनाडा की निवेश फर्म ब्रुकफील्ड ट्रस्ट की प्रायोजक थी जिसने उन परिसंपत्तियों में निवेश किया था।
ब्रुकफील्ड ने आरआईएल के टावर इन्फ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट में 25,215 करोड़ रुपये का निवेश किया था। रिलायंस ने इस रकम का उपयोग अपना ऋण बोझ घटाने में किया। यह लेनदेन 1 सितंबर को पूरा हो गया और यूनिट को बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में सूचीबद्ध किया गया। अब आरआईएल ने अपने तीसरे इनविट के लिए मसौदा पत्र जमा कराया है जिसमें जियो के फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क को निहित परिसंपत्ति के तौर पर शामिल किया जाएगा। अंबानी की निजी कंपनियां इस फाइबर कंपनी ट्रस्ट की प्रायोजक हैं।
इस फाइबर कंपनी ट्रस्ट के पास 77,458 करोड़ रुपये का ऋण होगा और वह आरआईएल को एक ऋणमुक्त कंपनी बनने में मदद करेगा। आरआईएल के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने शेयरधारकों को यह जानकारी दी थी।
एक बैंकर ने कहा, ‘अधिक ऋण बोझ तले दबी कंपनियों से भी इनविट के जरिये ऋण को हल्का करने के लिए काफी पूछताछ की जा रही है। हम उम्मीद करते हैं कि आगामी महीनों में कंपनियां इस ओर रुख करेंगी और इनविट को लॉन्च करेंगी। चूंकि यह दोनों पक्षों के लिए फायदे का सौदा है, इसलिए इसमें निवेशकों की दिलचस्पी भी दिख रही है।’
एयर इंडिया के एक बोलीदाता भी इनविट लॉन्च करने की योजना बना रही है ताकि विमानन कंपनी की राजस्व सृजन करने वाली परिसंपत्तियों को बचाया जा सके।
