प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जीवीके समूह के प्रवर्तकों और मुंबई इंटरनैशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (मायल) के अधिकारियों के खिलाफ धन शोधन का मामला दर्ज करने जा रहा है। यह कदम केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की उस जांच के बाद उठाया जा रहा है, जिसमें हवाई अड्डा चलाने और संभालने में 705 करोड़ रुपये का कथित घोटाला उजागर हुआ है।
सीबीआई ने मुंबई हवाई अड्डे का संचालन करने वाले जीवीके समूह समेत 14 व्यक्तियों के खिलाफ 27 जून को फौजदारी का मामला दर्ज किया। इनमें जीवीके समूह के चेयरमैन डॉ. जीवीके रेड्डी, उनके बेटे जीवी संजीव रेड्डी, मायल, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) और कई अन्य कंपनियों के अधिकारियों के नाम शामिल हैं। इन सभी पर धोखाधड़ी, झांसे और आपराधिक षड्यंत्र के आरोप में भ्रष्टाचार निवारक अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। सीबीआई का आरोप है कि साझे उपक्रम वाली मायल के निदेशक मंडल में शामिल जीवीके समूह के प्रवर्तकों ने अपने अधिकारियों और एएआई के अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर सरकारी खजाने को तगड़ी चपत लगाई। सीबीआई सूत्रों ने बताया कि मामला दर्ज करने के बाद केंद्रीय एजेंसी ने मंगलवार को जीवीके के हैदराबाद और मुंबई दफ्तरों की तलाशी भी ली। एजेंसी को शक है कि यह घोटाला 1,000 करोड़ रुपये तक का हो सकता है। जांच एजेंसी ने कहा कि घोटाला 2012 से हो रहा था और इसके लिए चार तरीके अपनाए गए – मायल का खर्च बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया, कंपनी की राजस्व आय को कम दिखाया गया और उस रकम का इस्तेमाल जीवीके प्रवर्तकों तथा उनके रिश्तेदारों के निजी खर्च में किया गया, कंपनी के पास इक_ी रकम का दुरुपयोग किया गया और फर्जी काम को पूरा दिखाकर एएआई से मंजूर हुई रकम निकाल ली गई।
ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हम सीबीआई में दर्ज मामले और उससे जुड़े सबूतों को तोल रहे हैं। सभी आरोपितों पर धनशोधन निरोधक कानून केे तहत मामला दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और एक-दो दिन में उसे पूरा कर लिया जाएगा। फर्जी ठेकों के जरिये धन की हेराफेरी और प्रवर्तक समूह से कथित संबंध वाली नौ कंपनियों की भूमिका तथा निजी खर्च के लिए आरक्षित धन का इस्तेमाल किए जाने की जांच के लिए धनशोधन का मामला दर्ज किया जाएगा।’ मायल जीवीके, एएआई और विदेशी कंपनियों की साझी उपक्रम है। एएआई ने हवाई अड्डा चलाने, संभालने और उसका विकास करने के लिए दो अन्य कंपनियों के साथ करार किया था। करार में कहा गया कि मुंबई हवाई अड्डे को मायल राजस्व की साझेदारी के मॉडल पर चलाएगी। इसमें राजस्व का 38.7 फीसदी हिस्सा एएआई को बतौर वार्षिक शुल्क दिया जाएगा।
सीबीआई ने बताया कि एएआई ने 200 एकड़ जमीन जीवीके को पुनर्विकास के लिए दी। 2017 और 2018 के बीच मायल ने रियल एस्टेट विकास के लिए नौ कंपनियों को कथित ‘फर्जी ठेके’ दिए। उसके बाद उसने उन कंपनियों को 310 करोड़ रुपये भी दे दिए, जबकि ठेकों का काम कभी हुआ ही नहीं। जीवीके ने प्रवर्तकों के रिश्तेदारों की इन नौ कंपनियों के साथ समझौता कर मायल की रकम का कथित इस्तेमाल किया। इन कंपनियों ने फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट भी हासिल किया, जिससे सरकार को और भी नुकसान हुआ।
सीबीआई का कहना है कि घोटाले के तहत दूसरे रास्ते से 2012 के बाद से ही जीवीके ने मायल की 395 करोड़ रुपये की अधिशेष रकम का इस्तेमाल अपने समूह की कंपनियों की वित्तीय जरूरतें पूरी करने में किया।
जांच एजेंसी का आरोप है कि उन्होंने मायल के निदेशक मंडल की फर्जी बैठकें दिखाते हुए प्रस्ताव तैयार कर लिए, जिसमें मायल के अधिशेष धन को स्थिर जमा प्राप्तियों (एफडीआर) के रूप में हैदराबाद के एक सरकारी बैंक में रखने की बात थी। मायल मुंबई की कंपनी है, मगर उसने रकम की एफडीआर बैंक ऑफ इंडिया की हैदराबाद शाखा में रखने का फैसला किया। जीवीके समूह ने इन एफडीआर के बदलने कर्ज और ओवरड्राफ्ट सुविधाएं हासिल कर दीं और उनका इस्तेमाल जीवीके समूह की हैदराबाद वाली कंपनियों के फायदे के लिए किया गया। यही तरीका अपनाकर अधिशेष रकम को दूसरे सरकारी बैंकों की हैदराबाद शाखाओं में एफडीआर के रूप में जमा किया गया और उनसे कर्ज ओवरड्राफ्ट लिया गया।
सीबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि रकम दूसरी जगह इस्तेमाल कर मायल का खर्च बढ़ाया गया और इस तरह जीवीके समूह के प्रवर्तकों ने मायल के 100 करोड़ रुपये से भी ज्यादा डकार लिए। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि उन्होंने हैदराबाद में जीवीके समूह के मुख्यालय के कर्मचारियों और समूह की दूसरी कंपनियों के कर्मचारियों को मुंबई की मायल से तनख्वाह दिलवाई। इन कर्मचारियों का मायल के कामकाज से कोई लेना-देना नहीं था मगर सालों से एएआई इन्हें तनख्वाह दे रहा था।
इसके अलावा दूसरी कंपनियों के फर्जी ठेकों और जीवीके के प्रवर्तकों तथा परिजनों के निजी खर्चों के जरिये मायल की कमाई भी कम करके दिखाई गई। इस साजिश के तहत उन्होंने मुंबई हवाई अड्डे में बेशकीमती रिटेल क्षेत्र प्रवर्तकों के परिजनों और संबंधियों को बेहद कम कीमत पर दे डाले।
