देश में विकसित भारत बायोटेक का कोविड-19 रोधी टीका कोवैक्सीन तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण के अंतिम विश्लेषण में 77.6 फीसदी असरदार पाया गया है। सूत्रों ने दावा किया कि विशेषज्ञ समिति द्वारा आंकड़ों की समीक्षा में यह बात पता चली। हालांकि गंभीर बीमारी में यह 93 फीसदी असरदार रहा और बिना लक्षण वाले मरीजों में यह 60 फीसदी असरदार पाया गया।
कंपनी ने विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) के समक्ष तीसरे चरण के आंकड़ों का विश्लेषण प्रस्तुत करने के बाद कोवैक्सीन के लिए पूर्ण विपणन की अनुमति मांगी है। विशेषज्ञ समिति ही भारतीय औषधि नियंत्रण महानिदेशालय (डीसीजीआई) सलाह देती है। सूत्रों ने कहा, ‘कोवैक्सीन को अभी एसईसी द्वारा पूर्ण विपणन की अनुमति देने की सिफारिश नहीं की गई है। पूर्ण अनुमति देने से पहले सुरक्षा को लेकर अतिरिक्त आंकड़े मांगे जा सकते हैं।’
भारत बायोटेक ने इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं की।
इस बीच कंपनी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को 25,800 वॉलंटियरों पर किए गए तीसरे चरण के परीक्षण के आंकड़े बुधवार को सौंपने जा रही है। कंपनी कोवैक्सीन को डब्ल्यूएचओ-आपात उपयोग सूची में शामिल कराना चाह रही है।
उत्पाद के देश के औषधि नियामक द्वारा तीसरे चरण के परीक्षण के आंकड़ों का मूल्यांकन किए जाने के बाद इसे डब्ल्यूएचओ को भेजा जा सकता है। कोवैक्सीन के डब्ल्यूएचओ-ईयूएल सूची में शामिल होने के बाद कोवैक्सीन लगवाने वालों के लिए विदेशी यात्रा की चिंता दूर हो जाएगी। अधिकतर देशों ने ईयूएल सूची में शामिल टीके को लगवाने वाले लोगों को ही अपने देश में यात्रा की अनुमति दी है।
भारत बायोटेक ने पहले संकेत दिया था कि वह डब्ल्यूएचओ के साथ बातचीत कर रही है और समय-समय पर परीक्षण के विश्लेषण से संबंधित आंकड़े मुहैया करा रहा है। कंपनी ने कहा कि उसे जुलाई से सितंबर तक डब्ल्यूएचओ से मंजूरी मिल सकती है।
एसईसी अब इन आंकड़ों को मूल्यांकन के लिए डीसीजीआई को भेजेगी। भारत बायोटेक ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि कोवैक्सीन ने हल्के, मध्यम और गंभीर कोविड-19 बीमारी में 78 फीसदी असर दिखाया है। गंभीर मामलों में यह 100 फीसदी तक असरदार है और अस्पताल में भर्ती होने के मामले भी कम होते हैं।
