उत्पाद शुल्क को तर्कसंगत बनाने के लिए वित्त मंत्री द्वारा घोषित कटौती से टिकाऊ उपभोक्ता उपकरणों की कीमतों में 3 फीसदी गिरावट संभव है। हालांकि इस घोषणा से बाजार ज्यादा खुश नही है। बाजार को वित्त मंत्री से और ज्यादा तोहफों की उम्मीद थी, पर ऐसा नही हो पाया है। बजट में केंद्रीय उत्पाद शुल्क को 2 फीसदी घटाकर 16 से 14 फीसदी कर दिया है। टिकाऊ उपभोक्ता बाजार क ो उम्मीद थी कि इसे 4 फीसदी घटाकर 12 फीसदी किया जाएगा। गोदरेज ऐपलायंसेस के मुख्य परिचालन अधिकारी जॉर्ज मनेजिस के मुताबिक बजट में घरेलू उपकरणों के बाजार के लिए कुछ भी खास नही है। उत्पाद शुल्क कटौती से भी निराशा ही हाथ लगी है। बजट में घरेलू उपकरणों के बाजार के लिए भी ऑटोमोबाइल क्षेत्र जैसी शुल्क कटौती होनी चाहिए थी जिससे निर्माण की कीमत में कमी आती। उन्होंने कहा कि हम लोग सिंगल डोर फ्रिज जैसे उत्पादों पर करों में कटौती की उम्मीद कर रहे थे। इससे हमें ग्रामीण बाजारों तक पहुंचने में आसानी होती और इस क्षेत्र को भी फायदा होता।
एयर कंडीशनर्स और फ्रिज के निर्माण में इस्तेमाल कच्चे माल में से 30 फीसदी इस्पात ही होता है। पिछले 2-3 महीनों से इस्पात के दाम भी 12-15 फीसदी तक बढ़े हैं। वीडियोकोन इंडस्ट्रीज के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत के मुताबिक उत्पाद शुल्क में कटौती का कोई फायदा नही होगा क्योंकि काफी चीजों पर दी गई छूट में बदलाव भी किया गया है। कन्वरजेंस उत्पादों पर शुल्क कटौती से सूचना प्रोद्यौगिकी के उत्पादों का फायदा होगा।
कर विशेषज्ञों के मुताबिक टिकाऊ उपभोक्ता उपकरणों में शुल्क कटौती के बाद इन उपकरणों के दाम जरुर घटने चाहिए। पीडब्ल्यूसी के कार्यकारी निदेशक (अप्रत्यक्ष कर) सचिन मेनन ने बताया कि उत्पाद शुल्क में कटौती और वैट में राहत से भारत में निर्मित उत्पादों की कीमतें लगभग 2.4 फीसदी कम होनी चाहिए। आयातित वस्तुओं पर भी सीमा शुल्क घटाया गया है ।
हालांकि कंपनियां मूल्य निर्धारण को लेकर काफी सतर्कता बरत रही हैं। एमआईआरसी इलेक्ट्रानिक्स के उपाध्यक्ष (बिक्री और विपणन) विवेक शर्मा ने कहा कि टिकाऊ उपभोक्ता बाजार को मामूली सा फायदा हुआ है। अभी कीमतों में बदलाव किसी भी कीमत पर मुमकिन नही है क्योंकि अभी कंपनियां लागत मूल्य पर पड़ने वाले असर का अध्ययन करेंगी और उसी के बाद इस पर फैसला किया जा सकता है।
