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चीन ने खरीद बढ़ाई, भारत की कंपनियों को सस्ते रूसी तेल का भरोसा

अप्रैल से भारत को ज्यादातर रूसी तेल दुबई बेंचमार्क पर मिल रहा है, जिसका औसत डिस्काउंट स्तर 8 से 10 डॉलर प्रति बैरल है

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शुभायन चक्रवर्ती   
Last Updated- July 03, 2023 | 8:05 AM IST

भारत की तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को भरोसा है कि कम अवधि के हिसाब से रूस के कच्चे तेल पर छूट मिलती रहेगी। कई ओएमसी के अधिकारियों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी दी।

रूस के यूराल ग्रेड कच्चे तेल का कारोबार 60 डॉलर की सीमा के नीचे हो रहा है, जिसके ऊपर प्रतिबंध लागू हो जाता है। अप्रैल से भारत को ज्यादातर रूसी तेल दुबई बेंचमार्क पर मिल रहा है, जिसका औसत डिस्काउंट स्तर 8 से 10 डॉलर प्रति बैरल है। 2023 में डिस्काउंट लगातार कम हुआ है क्योंकि चीन ने रूस से कच्चे तेल की खरीद बढ़ाई है। वहीं उद्योग के लोगों का कहना है कि भारत को छूट का वादा किया गया है और रूस ऐसे समय में व्यापक रूप से शर्तों में बदलाव नहीं करेगा, जब उस पर नकदी का दबाव है।

एक ओएमसी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘पिछले साल से छूट का स्तर लगातार बदल रहा है, लेकिन यह वैश्विक बाजार के औसत की तुलना में ज्यादा है। सौदे के समय एक बार कीमत तय हो जाती है, लेकिन हमें भरोसा है कि छूट जारी रहेगी।’

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अधिकारियों ने भी कहा कि छूट जारी रहेगी, हालांकि इसका स्तर कम होगा। एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ब्रेंट की तुलना में यूराल पर छूट 20 डॉलर प्रति बैरल के उच्च स्तर तक रही है, लेकिन यह गिरकर हाल के महीनों में कुछ निश्चित शिपमेंट में 5 डॉलर प्रति बैरल रह गई है।

कीमत की सीमा

फरवरी में यूक्रेन पर रूसी हमले के पहले भारत के कुल तेल आयात में रूसी कच्चे तेल की हिस्सेदारी महज 0.2 प्रतिशत थी। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक मई में यह हिस्सेदारी बढ़कर 42 प्रतिशत हो गई है।

जिंसों के जहाजों की आवाजाही पर नजर रखने वाली लंदन स्थित कमोडिटी डेटा एनॉलिटिक्स प्रोवाइडर वोर्टेक्स के मुताबिक भारत ने मई में रूस से 19.6 लाख बैरल प्रतिदिन कच्चा तेल लिया है, जो इसके पहले के अप्रैल के उच्च स्तर की तुलना में 15 प्रतिशत ज्यादा है। अगर रूस के यूराल क्रूड की कीमत जी-7 की प्रतिबंध सीमा 60 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाती है तो आवक प्रभावित होने की संभावना है।

पिछले साल 5 दिसंबर को अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने रूस के कच्चे तेल के सौदे को लेकर पश्चिम की शिपिंग और बीमा कंपनियों पर रोक लगा दी थी, जो तय सीमा से ऊपर हो। कीमतें सीमा से नीचे बनी रहीं, लेकिन 2023 में इसमें लगातार बढ़ोतरी हुई।

ब्लूमबर्ग की खबर के मुताबिक रूस के बाल्टिक बंदरगाह प्रीमोर्स्क पर जून में औसत कीमत 52 डॉलर प्रति बैरल रही।

विश्लेषकों का कहना है कि अगर कीमत तय सीमा से ऊपर जाती है तो ढुलाई की लागत बढ़ जाएगी और कारोबार लुभावना नहीं रहेगा। यूक्रेन युद्ध के पहले भारत के रिफाइनर बमुश्किल रूस का तेल खरीदते थे, क्योंकि वहां से ढुलाई की लागत ज्यादा पड़ती है।

बहरहाल भारत आधिकारिक रूप से मूल्य सीमा में शामिल नहीं हुआ है। वैश्विक रूप से दूसरा सबसे बड़ा आयातक होने के साथ भारत से कई बार इसमें शामिल होने का अनुरोध किया गया।

अन्य विक्रेताओं की नजर

अगर रूस मौजूदा भाव से बड़ा बदलाव करता है तो भारतीय खरीदार अन्य स्रोतों की ओर जा सकते हैं। अधिकारी ने कहा कि इसका कारोबार कीमतों को लेकर संवेदनशील है।

पश्चिम एशिया के विक्रेता जैसे इराक स्थिति पर नजर रखे हुए हैं और वे छूट बढ़ा सकते हैं। भारत के लिए कच्चे तेल के सबसे बड़े स्रोतों में से एक इराक वित्त वर्ष 23 के पहले 10 मंहीने में कच्चे तेल का सबसे बड़ा स्रोत था।

पिछले साल जून और उसके बाद इराक ने रूसी किस्म से औसतन 9 डॉलर प्रति बैरल कम भाव पर आपूर्ति की। लेकिन वित्त वर्ष 23 के अंत से रूस छूट देने की रणनीति में ज्यादा आक्रामक हुआ और रूस से ज्यादा तेल भारत आने लगा।

मार्च में बिजनेस स्टैंडर्ड ने खबर दी थी कि इराक रिफाइनरों के संपर्क में है और वह रिफाइनरों को लुभाने के लिए खुली छूट की पेशकश कर रहा है।

बहरहाल कीमत के अलावा भी भारत सरकार चाहती है कि पश्चिमी एशिया के देशों से बाहर से भी कच्चे तेल की स्थिर आपूर्ति की व्यवस्था की जानी चाहिए।

First Published : July 2, 2023 | 11:53 PM IST