अमेरिकी न्याय विभाग (डीओजे) ने अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी और उनके कई कारोबारी सहयोगियों पर सौर ऊर्जा अनुबंध हासिल करने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को 25 करोड़ डॉलर से अधिक रिश्वत देने, प्रतिभूति धोखाधड़ी आदि की साजिश रचने के साथ ही झूठे और भ्रामक बयान देकर अमेरिकी निवेशकों और वैश्विक वित्तीय संस्थानों को अरबों डॉलर योजना वाली धोखाधड़ी के पांच आरोपों में आपराधिक मुकदमा दर्ज किया है।
अमेरिका के सिक्योरिटीज ऐंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) ने भी गौतम अदाणी और सागर अदाणी (गौतम के भतीजे और अदाणी ग्रीन एनर्जी के प्रमुख), एज्यूर पावर ग्लोबल के शीर्ष अधिकारी सिरिल कैबनेस पर रिश्वतखोरी की साजिश के आरोप लगाए गए हैं जिसमें अदाणी ग्रीन और एज्यूर पावर भी शामिल है। एज्यूर पावर ग्लोबल नई दिल्ली मुख्यालय वाली अक्षय ऊर्जा कंपनी है जो न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध भी थी।
अमेरिकी न्याय विभाग के आरोप पर आपराधिक मामला दर्ज किया गया है जबकि एसईसी की तरफ से दायर मामला दीवानी है। गौतम अदाणी और अन्य के खिलाफ अमेरिका के सिक्योरिटीज ऐंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) के आरोप पत्र में प्रतिभूति धोखाधड़ी के साथ-साथ फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेज एक्ट (एफसीपीए) और फॉरेन एक्स्टॉर्शन प्रिवेंशन एक्ट (एफईपीए) के उल्लंघन के गंभीर आरोप भी लगाए गए हैं।
अमेरिकी कानून के तहत विशेष रूप से साजिश, प्रतिभूति धोखाधड़ी, वायर फ्रॉड, न्याय में बाधा पहुंचाने जैसे कई मामले के साथ ही फॉलो-अप कार्रवाई बहुआयामी हो सकती है और कानूनी कार्रवाई आमतौर पर एक आरोपपत्र जारी होने के साथ ही शुरू होती है और औपचारिक रूप से आरोपियों पर कथित अपराध के लिए आरोप लगाए जाते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी कानूनों के प्रावधान के तहत विशेषतौर पर फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेज एक्ट (एफसीपीए) इस तरह के अभियोग का अर्थ गंभीर अपराध है जिसके गंभीर परिणाम देखे जा सकते हैं और इसमें गिरफ्तारी से लेकर जुर्माना और कारावास की सजा भी शामिल है।
एफसीपीए में स्पष्ट रूप से कारोबारी लाभ हासिल करने या उसे बनाए रखने के लिए विदेशी अधिकारियों को रिश्वत देने की मनाही है और अपने क्षेत्राधिकार से इतर भी विदेशी नागरिक के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति है अगर यह पाया जाता है कि उनकी सांठ-गांठ अमेरिका के वाणिज्य या वित्तीय तंत्र से है।