चार साल पुराने एमेजॉन और फ्लिपकार्ट मामले में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के महानिदेशक-जांच द्वारा की गई पड़ताल में पता चला है कि दोनों ई-कॉमर्स कंपनियों ने प्रतिस्पर्धा कानूनों का उल्लंघन किया था। मामले से वाकिफ लोगों ने यह जानकारी दी।
सूत्रों ने कहा कि जांच रिपोर्ट जल्द ही शिकायतकर्ता और कंपनियों सहित सभी संबंधित पक्षों के साथ साझा की जाएगी। इसके बाद सीसीआई में इस मामले की सुनवाई होने की उम्मीद है।
इस बारे में जानकारी के लिए बिज़नेस स्टैंडर्ड ने CCI से संपर्क किया था मगर कोई जवाब नहीं आया। एमेजॉन और फ्लिपकार्ट से भी खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया।
हालांकि सूत्रों ने बताया कि कंपनियों को अभी तक CCI से इस मामले में कोई नोटिस या पत्र नहीं मिला है।
यह मामला 2019 का है जिसमें दिल्ली व्यापार महासंघ ने फ्लिपकार्ट और एमेजॉन के खिलाफ आरोप लगाया था कि वे गंभीर गैर-प्रतिस्पर्धा वाली कार्यप्रणालियों में लिप्त हैं, जिसकी वजह से खुदरा कारोबार से आजीविका अर्जित करने वाले उसके लाखों सदस्यों को अपना कारोबार बंद करना पड़ा।
महासंघ का आरोप था कि ई-कॉमर्स कंपनियां स्मार्टफोन की ऑनलाइन बिक्री पर भारी छूट देती हैं और चुनिंदा विक्रेताओं को ही अवसर देती हैं। इस साल फरवरी में खुदरा व्यापारियों के उद्योग संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने सीसीआई से लंबे समय से अटके दिल्ली व्यापार महासंघ के मामले का समाधान करने की अपील की थी।
कैट के राष्ट्रीय महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने सीसीआई को लिखे पत्र में कहा था, ‘ये विदेशी कंपनियां ‘एक्सक्लूसिव लॉन्च’ के नाम पर मोबाइल फोन की बिक्री में अपने एकाधिकार का बेजा इस्तेमाल कर रही हैं। कुछ कंपनियों/ विक्रेताओं के नाम केवल बिल बनाने के मकसद से आए थे, जिसका एकमात्र मकसद यह था कि फ्लिपकार्ट/एमेजॉन के पास बिना बिके पड़े फोन का स्टॉक उनके जरिये निकाल दिया जाए।’
13 जनवरी, 2020 को सीसीआई ने प्रतिस्पर्धा कानून, 2002 की धारा 26(1) के तहत इस मामले में जांच शुरू करने का आदेश दिया था। आयोग ने कहा था कि इस बात की जांच होनी चाहिए कि क्या ऑनलाइन सेवा प्रदाताओं द्वारा कथित विशेष व्यवस्था, भारी छूट और कुछ खास विक्रेताओं को तरजीह देने की व्यवस्था का इस्तेमाल प्रतिस्पर्धा को रोकने की रणनीति के रूप में किया जा रहा है।
मद्रास उच्च न्यायालय के वकील के नरसिम्हन ने कहा, ‘प्रतिस्पर्धा-रोधी आरोपों की जांच के दौरान महानिदेशक-जांच की रिपोर्ट में लंबे समय से स्थापित प्रक्रिया का पालन किया गया है। इस मामले में भी नियामक के लिए ई-कॉमर्स क्षेत्र को परिभाषित करने और मार्केटप्लेस के खिलाफ प्रतिस्पर्धा-रोधी आरोप साबित करना कठिन होगा क्योंकि तेजी से बढ़ रहे इस क्षेत्र में कई कंपनियां हैं। इस दलील के हिसाब से तो लग सकता है कि इंडियन प्रीमियम लीग ने एक ही चैनल पर मैच प्रसारित करने के लिए जियो के साथ सांठगांठ की है। नियामक अभी तक वस्तुनिष्ठ बना हुआ है और इसी दृष्टिकोण से भारत जैसी समृद्ध अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।’
अखिल भारतीय मोबाइल रिटेलर्स संघ ने सीसीआई की चेयरपर्सन रवनीत कौर को लिखे पत्र में कहा है कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों के संचालन में कदाचार और मोबाइल फोन विनिर्माताओं के साथ सांठगांठ की पहचान करने और उनका सामधान करने के लिए सीसीआई की कार्रवाई खुदरा व्यवस्था की सुरक्षा बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण है।
2 मई को लिखे इस पत्र में कहा गया है कि गलत कार्यप्रणालियों से न केवल ग्राहकों के अधिकारों का हनन होता है बल्कि गलत कारोबारी व्यवहार को भी बढ़ावा मिलता है जिससे आखिरकार बाजार में नकदी प्रवाह पर असर पड़ता है और सरकार के राजस्व पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। साथ ही वैध कारोबार भी प्रभावित होता है।
संघ के संस्थापक चेयरमैन कैलाश लखयानी द्वारा भेजे गए पत्र में कहा गया है, ‘देश भर में डेढ़ लाख से अधिक मोबाइल रिटेलरों का प्रतिनिधित्व करने वाला संगठन सीसीआई के प्रयासों की सराहना करता है। हमारा मानना है कि नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए और जुर्माना लगाया जाना चाहिए ताकि सभी को समान मौका मिल सके और उचित प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित हो सके।’ बिज़नेस स्टैंडर्ड ने भी इस पत्र को देखा है।