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ई-कॉमर्स पर सीसीआई को मिलें प्रवर्तन के ज्यादा अ​धिकार

Last Updated- December 11, 2022 | 6:11 PM IST

वा​णिज्य पर संसद की स्थायी समिति ने अपनी सिफारिश में कहा है कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) को अपनी प्रवर्तन श​क्तियां सुदृढ़ बनाने की जरूरत है। समिति ने डिजिटल मार्केट के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा नियमों के प्रवर्तन की खामियां दूर करने के लिए प्रतिस्पर्धा कानून, 2002 को अद्यतन बनाकर सीसीआई के अंतर्गत डिजटल मार्केटिंग इकाई बनाने की भी अपील की।
समिति ने सुझाव दिया कि एक विशेषज्ञ इकाई बनाई जाए, जिसे सभी संबं​धित नियामकों, विभागों के साथ मिलकर डिजिटल मार्केट के लिए कायदे बनाने का काम सौंपा जाए। संसदीय समिति ने आयोग के नियामकीय ढांचे को नए सिरे से तैयार करने की बात भी कही। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘भारत को अपने मौजूदा नियामकीय प्रारूप में सुधार लाने और उसे मजबूत बनाने और प्रहरी के तौर पर काम करने वाली इकाइयों की पहचान करने की जरूरत है।’समिति ने ऐसी इकाइयों की पहचान के लिए अंतरराष्ट्रीय कार्यप्रणालियों का संदर्भ लेने का सुझाव भी दिया। समिति ने कहा वैश्विक स्तर पर यूरोपीय संघ, जर्मनी और ब्रिटेन के प्रतिस्पर्धा नियामक आसानी से समझ रहे हैं कि डिजिटल बाजारों में कई सौदे और लेनदेन संपत्ति मूल्य तथा कारोबार की पारंपरिक सीमा से बच सकते हैं। समिति ने प्रतिस्पर्धा कानून, 2002 में संशोधन की सिफारिश की, जिसमें अतिरिक्त मानदंड जैसे प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत या सक्रिय ग्राहकों और विक्रेताओं की संख्या, प्लेटफॉर्म पर होने वाले सौदे और इन इकाइयों द्वारा अर्जित राजस्व आदि को शामिल किया जा सकता है।
संसदीय समिति ने 15 जून को एक रिपोर्ट ‘भारत में ई-कॉमर्स संवर्द्धन और नियमन’ पेश की है। इसमें ई-मार्केटप्लेस क्षेत्र में विलय और अ​धिग्रहण में प्रतिस्पर्धारोधी जांच बढ़ाने के लिए सीसीआई को ज्यादा अ​धिकार देने का सुझाव दिया गया है। समिति ने यह सुझाव भी दिया है कि ई-कॉमर्स पर मौजूदा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति ई-मार्केटप्लेस में प्रतिस्पर्धारोधी कार्यप्रणाली की चिंता दूर करने तक सीमित है। इसमें कहा गया है कि भारी छूट, तरजीही सुविधा या प्रतिस्पर्धा खत्म करने के मामले में देसी या अंतरराष्ट्रीय मार्केटप्लेस में किसी तरह का भेद नहीं होना चाहिए।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘समिति ने पाया है कि ई-कॉमर्स पर एफडीआई नीति ने इस क्षेत्र की कई समस्याएं दूर करने का प्रयास किया है मगर प्रवर्तन के मामले में यह पीछे रह जाती है। तेजी से बढ़ रहे डिजटल मार्केट क्षेत्र से संबं​धित मसलों के लिए समयबद्ध जांच की व्यवस्था होनी चाहिए और सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि जांच प्रक्रिया में देर के कारण अनुचित व्यापार व्यवहार नहीं हो।’समिति ने सीसीआई को अनिवार्य आचार संहिता बनाने के लिए कहा है, जिसमें ई-मार्केटप्लेस के परिचालकों के बीच स्वीकार्य व्यवहार की स्पष्ट व्याख्या हो। आचार संहिता में ई-मार्केट प्लेटफॉर्म के लिए कुछ कार्य अनिवार्य किए जाने चाहिए जैसे डेटा के उपयोग की पारद​र्शिता, डेटा के दुरुपयोग से बचाव के उपाय आदि।
संसदीय समिति ने भारी छूट जैसे प्रतिस्पर्धारोधी कार्यों के बढ़ते जो​खिम का भी उल्लेख किया है। समिति ने इस समस्या को दूर करने के लिए व्यापक प्रारूप बनाने की अपील की है क्योंकि ई-कॉमर्स पर एफडीआई नीति इसके प्रवर्तन में उनी सक्षम नहीं है। एमेजॉन और फ्लिपकार्ट पर आरोप लगते रहे हैं कि वह अपने प्लेटफॉर्म पर कुछ विक्रेताओं को तरजीह देती हैं। वा​णिज्य एव उद्योग मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, डीपीआईआईटी तथा वि​भिन्न राज्य सरकारों सहित इस क्षेत्र से जुड़े वि​भिन्न हितधारकों के पक्ष सुनने के बाद  समिति ने यह रिपोर्ट तैयार की है।

First Published - June 18, 2022 | 12:50 AM IST

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