भारत में आम बजट में छोटी कारों पर उत्पाद शुल्क में छूट मिलने और आम आदमी की क्रयशक्ति लगातार बढ़ने से कार कंपनियां खास तौर पर उत्साहित हैं।
देश का वाहन बाजार लगातार बढ़ रहा है और उसके ज्यादा से ज्यादा हिस्से पर कब्जा करने की ललक भी इन कंपनियों में दिनोंदिन बढ़ रही है।
जनरल मोटर्स भी इसी इरादे से देश में अपनी क्षमता बढ़ाने की योजना बना रही है।
कंपनी 2010 तक भारतीय वाहन बाजार के 10 प्रतिशत हिस्से पर कब्जा करने के मकसद से देश में लगभग 800 करोड़ रुपये का निवेश करने के बारे में सोच रही है। कंपनी इस रकम से भारत में अपना पहला इंजन संयंत्र लगाएगी।
जनरल मोटर्स इंडिया के प्रबंध निदेशक कार्ल स्लाइम ने मुंबई में इस योजना का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि निवेश के बारे में रूपरेखा लगभग तय की जा चुकी है।
लेकिन कंपनी अभी इस संयंत्र के लिए कोई माकूल जगह नहीं तलाश पाई है। कंपनी के प्रवक्ता पी बालेंद्रन ने बताया कि इस बारे में फैसला जल्द ले लिया जाएगा और तुरंत उसका ऐलान भी कर दिया जाएगा।
भारत में इंजन संयंत्र लगाने के पीछे कंपनी की मंशा वाहनों में आने वाली लागत कम करना है। यदि देश में ही उसके इंजन बन जाते हैं, तो जनरल मोटर्स को काफी फायदा हो जाएगा।
इस समय कंपनी यहां अपनी कारों के लिए इंजन आम तौर पर आयात करती है। ऐसी हालत में प्रत्येक इंजन पर उसे 80 प्रतिशत आयात शुल्क देना पड़ता है।
इसी वजह से कंपनी भारत में अभी तक कार बाजार के बड़े हिस्से पर कब्जा नहीं कर पाई है। लेकिन उसे लगता है कि इंजन संयंत्र लगने के बाद वह भारतीय कार बाजार में अव्वल मारुति सुजुकी और हुंडई मोटर कंपनी की नींव में सेंध लगा लेगी।
फिलहाल कंपनी अगले हफ्ते से तालेगांव में एक संयंत्र में यह काम शुरू कर रही है। शुरू में यह काम प्रायोगिक ही होगा। इस संयंत्र की लागत 1,200 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है।
हर साल यह संयंत्र तकरीबन 140,000 वाहन तैयार कर सकता है।
इस समय जनरल मोटर्स का भारत में एक ही संयंत्र है।
यह संयंत्र पश्चिम गुजरात में है, जहां हर साल लगभग 85,000 वाहन बनाए जाते हैं।