नामी सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी इन्फोसिस ने अपने 350 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। मामले की जानकारी रखने वालों ने बताया कि ऑफर लेटर मिलने के बाद करीब ढाई साल से इंतजार कर रहे इन कर्मचारियों को पिछले साल अक्टूबर में कंपनी में लिया गया था। उस समय करीब 1,000 इंजीनियरों की भर्ती की गई थी। कर्मचारियों को उस समय निकाला गया है, जब अनिश्चित आर्थिक माहौल में कमजोर मांग के कारण आईटी कंपनियां सोच-समझकर ही नई भर्ती कर रही हैं।
इन्फोसिस ने कहा कि उसके सभी फ्रेशरों को ‘कठिन भर्ती प्रक्रिया’ से गुजरना होता है और मूल्यांकन परीक्षा पास करने के लिए उन्हें तीन मौके दिए जाते हैं। जो पास नहीं कर पाते, उन्हें कंपनी में नहीं रखा जाता। यह बात फ्रेशरों के करार में भी लिखी रहती है। कंपनी ने बयान में कहा, ‘दो दशक से भी अधिक समय से यही प्रक्रिया चल रही है और इसके जरिये हमारे ग्राहकों को बेहतरीन प्रतिभा मिलना पक्का हो जाता है।’ छंटनी से प्रभावित कर्मचारियों को इन्फोसिस के मैसूरु परिसर में प्रशिक्षण दिया जा रहा था। इन कर्मचारियों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि छंटनी का काम बहुत सख्ती के साथ किया जा रहा है। एक कर्मचारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘कमरे में घुसते ही हमारे फोन ले लिए गए। वे हमसे बिना कुछ कहे-सुने कागज पर दस्तखत करने को कह रहे हैं। कुछ पूछो तो कहते हैं ‘पहले दस्तखत’ करो।’
नेसेंट इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी इम्प्लॉयीज सीनेट (नाइट्स) ने कहा कि वह श्रम और रोजगार मंत्री के पास शिकायत भेज रही है और उनसे आईटी कर्मचारियों के अधिकार तथा गरिमा की रक्षा के लिए ‘फौरन हस्तक्षेप’ करने की मांग कर रही है। नाइट्स के अध्यक्ष हरप्रीत सिंह सलूजा ने कहा, ‘नाइट्स को शिकायत मिली हैं कि कंपनी ने कर्मचारियों को डराने-धमकाने के लिए बाउंसर और सुरक्षाकर्मी रखे हैं ताकि कोई अपना मोबाइल फोन अंदर नहीं ले जा सके और रिकॉर्डिंग करने या मदद मांगने का मौका न मिल सके।’
कहा जा रहा है कि जब कर्मचारियों ने इतने बड़े पैमाने पर छंटनी की तुक पूछी तो इन्फोसिस के मानव संसाधन अधिकारी ने बेरुखी से कहा कि कंपनी ने उनसे दो साल इंतजार करने के लिए कहा था। अधिकारी ने जवाब देते समय बिल्कुल भी नहीं सोचा कि कर्मचारी क्या झेलकर आए हैं। बहरहाल इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी कि परिसर में बाउंसर भी थे।
प्रभावित कर्मचारियों का कहना है कि जो कर्मचारी तीन प्रयासों में भी योग्यता परीक्षा में न्यूनतम जरूरत पूरी नहीं कर सके उन्हें कंपनी छोड़ने के लिए कह दिया गया। मगर परीक्षा से पहले ही उसका पाठ्यक्रम और मानदंड बदल दिए गए थे। छंटनी के शिकार एक कर्मचारी ने कहा, ‘पहले कंपनी ने हमें तीन साल बिठाए रखा और अब उसे हमारी चिंता ही नहीं है। हम परीक्षा में अच्छा कर सकते थे मगर वह बहुत मुश्किल थी। शुरू में हमसे कहा गया कि नेगेटिव मार्किंग नहीं होगी यानी गलत जवाब पर अंक नहीं कटेंगे मगर बाद में अंक काट लिए गए।’
इन्फोसिस ने ऑफर लेटर 2022 में दिए थे और फ्रेशरों को 2023 में कंपनी में आना था। मगर उस समय उनकी भर्ती नहीं की गई क्योंकि दुनिया भर में अनिश्चितता के कारण सभी आईटी कंपनियां भर्ती टाल रही थीं। टाटा कसंल्टेंसी सर्विसेज और विप्रो जैसी कंपनियों ने भी फ्रेशरों को नियुक्त करने में देर की बात स्वीकार की थी। जिन्हें निकाला जा रहा है, उनके लिए अनिश्चितत माहौल तथा रोजगार का बिगड़ा बाजार चिंता की सबसे बड़ी वजह है।