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लगातार हिस्सेदारी गंवा रही बीएसएनएल

Last Updated- December 11, 2022 | 5:11 PM IST

सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी भारत संचार निगम (बीएसएनएल) को 69,000 करोड़ रुपये का पहला राहत पैकेज मिलने के तीन साल बाद भी कंपनी की ​स्थिति में सुधार नहीं हुआ और वह लगातार बाजार हिस्सेदारी गंवा रही है। इस बीच सरकार ने बीएसएनएल के पुनरुद्धार के लिए पिछले हफ्ते 1.64 लाख करोड़ रुपये के एक और राहत पैकेज की मंजूरी दी है।
वित्त वर्ष 2021-22 में बीएसएनएल की शुद्ध आय 16,809 करोड़ रुपये रही थी, जो इससे एक साल पहले के 17,452 करोड़ रुपये से 3.7 फीसदी कम है। इस दौरान कंपनी का घाटा 6,982 करोड़ रुपये रहा, जिसमें वित्त वर्ष 2021 के 7,441 करोड़ रुपये की तुलना में मामूली सुधार हुआ है। कंपनी को अपने परिचालन के ​13 साल में कुल 1.92 लाख करोड़ रुपये का घाटा हुआ है, जो कारोबारी जगत में सबसे बड़ा घाटा में से एक है।
बीएसएनएल ने अंतिम बार वित्त वर्ष 2008-09 में मुनाफा कमाया था। घरेलू दूरसंचार बाजार में बीएसएनएल की आय हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2022 में घटकर 8.5 फीसदी रह गई जो एक साल पहले 9.4 फीसदी थी और वित्त वर्ष 2018 में 16.7 फीसदी थी। इस बीच बीएसएनएल निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों के हाथों अपनी हिस्सेदारी लगातार गंवाती रही।
​पिछले वित्त वर्ष में सभी दूरसंचार कंपनियों की समेकित शुद्ध बिक्री 5.8 फीसदी बढ़ी जबकि बीएसएनएल की आय में गिरावट दर्ज की गई। निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी रिलायंस जियो और भारती एयरटेल ने आय में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना जारी रखा।
बढ़ते घाटे के बीच सरकार ने पहली बार कंपनी को जुलाई 2019 में कर्मचारियों की स्वैच्छिक सेवानिवृ​त्ति के लिए पैकेज दिया  गया था।
कैपिटालाइन के आंकड़ों के मुताबिक बीएसएनएल के कर्मचारियों की तादाद करीब 70 फीसदी घट गई है। यह मार्च 2017 के आखिर में करीब 2.05 लाख थी, जो मार्च 2020 के अंत में करीब 70,000 पर आ गई। इसके नतीजतन इस अवधि में कंपनी का वेतन-भत्तों का खर्च 59 फीसदी घटा है। यह वित्त वर्ष 2017 में 16,300 करोड़ रुपये था, जो वित्त वर्ष 2021 में घटकर 6,761 करोड़ रुपये रहा। इससे कंपनी को एक वित्तीय राहत मिली। इसने वित्त वर्ष 2021 में चार वर्ष में पहला परिचालन लाभ या एबिटा दर्ज किया है, जबकि बीते वर्षों के दौरान शुद्ध नुकसान करीब आधा हो गया है।
हालांकि कर्मचारी लागत में गिरावट से वित्तीय लाभ अस्थायी साबित हो रहा है क्योंकि कंपनी के परिचालन आय में लगातार कमी आ रही है और ब्याज भुगतान का बोझ बढ़ता जा रहा है। कंपनी की ब्याज लागत पिछले तीन साल के दौरान तिगुनी से अधिक हो गई है। यह वित्त वर्ष 2019 में 785 करोड़ रुपये थी, जो पिछले वित्त वर्ष में बढ़कर 2,617 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। इससे कंपनी के शुद्ध लाभ पर दबाव आ रहा है।
कंपनी का मुख्य परिचालन घाटा वित्त वर्ष 2022 में 1,300 करोड़ रुपये रहा, जिसमें पिछले वित्त वर्ष की 2,243 करोड़ रुपये की अन्य आय शामिल नहीं थी। इसकी तुलना में बीएसएनएल को छह साल में पहली बार वित्त वर्ष 2021 में 49.2 करोड़ रुपये का मुख्य परिचालन लाभ हुआ।

First Published - August 1, 2022 | 12:02 AM IST

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