बीएस बातचीत
सिटी साउथ एशिया के लिए बाजार एवं प्रतिभूति सेवाओं के प्रमुख बदरीनिवास एनसी ने पुनीत वाधवा के साथ बातचीत में कहा कि मार्च 2020 के निचले स्तरों से इक्विटी बाजार में आई भारी तेजी के बाद प्रमुख सूचकांक में अल्पावधि तेजी सीमित बनी हुई है। पेश है उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
अगली कुछ तिमाहियों के दौरान बॉन्ड बाजारों का प्रदर्शन कैसा रहने की संभावना है?
बॉन्ड बाजार कमजोर उधारी के बावजूद मजबूत बने हुए हैं। मैं इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में बाजार की दिलचस्पी कम नजर आ रही है। भारतीय रिजर्व बैंक को प्रतिफल में तेजी बनाए रखने के लिए जल्द ही बड़ी खरीदारी के साथ कदम उठाने की जरूरत हो सकती है।
मूडीज का मानना है कि एपीएसी (एशिया प्रशांत) ज्यादा प्रतिफल वाली गैर-वित्तीय कॉरपोरेट डिफॉल्ट दर 2020 में 8.1 प्रतिशत पर पहुंचने की उम्मीद है। क्या वित्तीय बाजारों में इसकी संभावना का असर दिख रहा है?
हां, काफी हद तक। एए और सरकारी प्रतिभूतियों के मुकाबले कम रेटिंग वाले कॉरपोरेट बॉन्डों में प्रतिफल अंतर काफी बढ़ा है। कम रेटिंग क्रेडिट में यह अंतर बढऩे से इन कॉरपोरेट में बढ़ते दबाव की आशंका दिख रही है। साथ ही सरकार और नियामकों द्वारा घोषित विभिन्न उपायों से बाजार पर दबाव घटाने में मदद मिली है। ऑफशोर एशियाई बॉन्ड बाजार में, हमने प्रतिफल अंतर में बड़ा दबाव देखा है। मौजूदा महामारी से कुछ उद्योग दूसरों के मुकाबले ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
पिछले कुछ महीनों से आपकी निवेश रणनीति कैसी रही है?
सामान्य तौर पर, हम निर्धारित आय पर लंबे समय से जोर देते रहे हैं, जबकि कॉरपोरेट बॉन्डों और खास नामों पर सतर्क रहे हैं। प्रमुख बाजार के संदर्भ में, निवेशकों द्वारा आगामी महीनों में प्रतिफल पर जोर दिए जाने की संभावना है और हम पहले से ही इसके संकेत देख रहे हैं। चूंकि कोविड-19 का खतरा घट रहा है, इसलिए निवेशक लंबी अवधि की पेशकशों पर ध्यान केंद्रित करेंगे। मेरा अभी भी मानना है कि मजबूत प्रतिफल रेखा निवेशकों के लिए अवसर प्रदान करती है, खासकर यदि हम ऊंची मुद्रास्फीति की वजह से अल्पावधि में कुछ बिकवाली दर्ज करें। भले ही हमयह मान रहे हैं कि इक्विटी बाजार में अल्पावधि तेजी सीमित है, लेकिन हमारा मॉडल पोर्टफोलियो वित्त, दूरसंचार, उद्योग और हेल्थकेयर जैसे कुछ खास क्षेत्रों पर सकारात्मक है।
क्या बॉन्ड बाजारों पर वैश्विक केंद्रीय बैंकों द्वारा निरंतर तरलता का असर दिख रहा है?
लगभग ज्यादातर परिसंपत्ति वर्गों (इक्विटी, कीमती धातुओं और निर्धारित आय शामिल) में ऊंची कीमतों से निरंतर तरलता की संभावना और वैश्विक केंद्रीय बैंकों के मौद्रिक समर्थन का पता चलता है। हालांकि बाजार में अस्थिरता अमेरिकी चुनावों से जुड़ी है, लेकिन उभरते बाजारों के लिए प्रवाह पर किसी तरह का प्रभाव डॉलर की चाल पर केंद्रित होगा। किसी अल्पावधि प्रभाव के मामले में, हमारे विदेशी मुद्रा भंडार का आकार बॉन्ड बाजार पर किसी तरह के बड़े प्रभाव को कम करने के लिए पर्याप्त मदद प्रदान करता है।
आरबीआई ने ऋण पुनर्गठन की अनुमति दी है। इसका घरेलू कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार पर क्या असर दिखेगा?
क्रेडिट फंडों में पूंजी बाजार निवेशकों की भागीदारी पिछले कुछ महीनों के दौरान काफी घटी है और साथ ही अच्छी गुणवत्ता की ओर इनका रुझान बढ़ा है। किसी ताजा पूंजी प्रवाह के अभाव में, पुनर्गठित नामों के लिए भूख काफी सीमित हुई है। हालांकि कुछ चुनिंदा नाम हो सकते हैं जनमें नए दिशा-निर्देशों के आधार पर उनकी त्वरित ऋण भुगतान क्षमता में इजाफा होगा, नए निवेशक आकर्षित होंगे।
10 वर्षीय जी-सेक प्रतिफल कैसा रहेगा?
10 वर्षीय सरकारी प्रतिभूतियों के लिए अभी से लेकर वर्ष के अंत के लिए प्रमुख दायरा 5.60 प्रतिशत से 6.10 प्रतिशत रहने की संभावना है। आरबीआई की ओएमओ खरीदारी से प्रतिफल पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा।