ब्लैकस्टोन की झोली में वीएफएस

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 12:26 AM IST

ब्लैकस्टोन ने दुनिया की सबसे बड़ी वीजा प्रोसेसिंग सेवा प्रदाता वीएफएस ग्लोबल का अधिग्रहण स्वीडन की प्राइवेट इक्विटी फर्म ईक्यूटी से 1.1 अरब डॉलर में किया है। कोविड-19 महामारी के बाद वैश्विक स्तर पर आवाजाही में सुधार की उम्मीद में यह सौदा किया गया है।

कंपनी में ब्लैकस्टोन की हिस्सेदारी 75 फीसदी होगी जबकि बाकी हिस्सेदारी ईक्यूटी और कुओनी ह्यूजेटोबलर फाउंडेशन के पास होगी। बीएफएस ग्लोबल का गठन मुंबई में साल 2001 में हुआ था, जो 140 से ज्यादा देशों में 3,500 वीजा ऐप्लिकेशन के जरिये 60 से ज्यादा सरकारों को अपनी सेवाएं देती है। साल 2020 में कंपनी का राजस्व 73.9 करोड़ डॉलर रहा और उसमें सालाना 14 फीसदी चक्रवृद्धि की रफ्तार से बढ़ोतरी हुई।

वीएफएस ग्लोबल के लिए भारत तीन अग्रणी बाजारों में शामिल है और साल 2019 में उसने देश के 51 केंद्रों से 60 लाख से ज्यादा वीजा ऐप्लिकेशन की प्रोसेसिंग की। कंपनी का ग्लोबल सपोर्ट ऑफिस मुंबई मेंं ही है। कंपनी की अगुआई सीईओ जुबिन करकरिया कर रहे हैं।

ब्लैकस्टोन प्राइवेट इक्विटी के यूरोप व एशिया प्रमुख लियोनेल एसेंट और अमित दीक्षित ने कहा, वीएफएस ने वीजा आउटसोर्सिंग कारोबार का नेतृत्व किया है और आज वैश्विक बाजार में अग्रणी है जो दुनिया भर में करोड़ों लोगों की यात्रा में अहम भूमिका निभा रही है। वीएफएस के सस्थानीय बाजार का अनुभव, वैश्विक स्तर पर खासा प्रसार और तकनीकी तौर पर अगुआई इस कंपनी को दुनिया भर की सरकारों के लिए भरोसेमंद साझेदार बनाता है।

करकरिया ने वीएफएस की अवधारणा तैयार की थी, जो तब कुओनी इंडिया के मुख्य परिचालन अधिकारी थे। यह वैश्विक भ्रमण पर जाने वाले भारतीयों के लिए अवरोध दूर करने के लिए था। कुओनी ने साल 2016 में यह कारोबार ईक्यूटी को बेच दिया था। तब कांसुलेट्स के बाहर वीजा आवेदकों की कतार लंबी होती ती, वहीं वीजा अधिकारी इन आवेदनों पर काम करते थे। वीएफएस ने कांसुलेट्स के लिए काम आसान बना दिया क्योंकि उन्हें वीजा देने या उशे खारिज करने का ही फैसला लेना होता था, वहीं वीएफएस इसके संग्रह व दस्तावेजों की जांच का काम संभालती थी। पहली पायलट परियोजना मुंबई के अमेरिकी कांसुलेट्स के साथ हुई, जिसके बाद पुणे और अहमदाबाद में इसे दोहराया गया।

जल्द ही और अनुबंध मिलने लगे और साल 2005 में कुओनी इंडिया भारत में ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया समेत 11 देशों के लिए वीजा की प्रोसेसिंग करने लगी। करकरिया उस साल भारतीय कारोबार के सीईओ बन गए। कंपनी ने साल 2007 में वैश्विक कारोबार शुरू किया जब ब्रिटिश सरकार ने 33 देशों के लिए वीजा प्रोसेसिंग की आउटसोर्सिंग की।

उनके एक पूर्व सहयोगी ने कहा, अवधारणा, क्रियान्वयन और कारोबार को आगे बढ़ाने में जुबिन कामयाब रहे। उन्हें पय4न व वीजा सेगमेंट की गहरी समझ थी। आज वीएफएस ग्लोबल बाजार में अग्रणी है और वीजा प्रोसेसिंग में उसकी बाजार हिस्सेदारी 50 फीसदी से ज्यादा है।

First Published : October 7, 2021 | 11:28 PM IST