वैश्विक मंदी की वजह से परिधान निर्यातकों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन सबसे ज्यादा मार छोटो और मझोले परिधान निर्यातक कंपनियों पर पड़ी है।
बड़ी कंपनियों का मुनाफा भले ही कम हुआ हो, लेकिन अब भी उनके पास काम आ रहा है और उनकी ऑर्डर बुक अच्छी-खासी है। बड़ी परिधान कंपनियों का कहना है कि उनकी ऑर्डर बुक में भले ही कमी नहीं आई हो, लेकिन उत्पाद की कीमतों में जरूर कमी आई है। इससे कंपनी के सालाना टर्नओवर पर असर पड़ सकता है।
जहां तक छोटे और मंझोले परिधान निर्यातक कंपनियों की बात है, तो उन्हें नए ऑर्डर नहीं मिल पा रहे हैं, वहीं मौजूदा ग्राहकों को बनाए रखने में भी उन्हें खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। गुड़गांव स्थित ओरिएंट क्रॉफ्ट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक सुधीर ढ़ींगरा का कहना है कि छोटी-मझोली कंपनियों को वित्तीय मोर्चे पर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
दरअसल, ग्राहक चाहते हैं कि उनकी उधारी समय सीमा और छूट दी जाए, लेकिन ज्यादातर छोटी-मझोली कंपनियां ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं। जबकि बड़ी कंपनियों के साथ ऐसी समस्या नहीं है। यही वजह है कि मंदी का असर उन पर ज्यादा नहीं पड़ रहा है। गौरतलब है कि परिधान निर्यातक कंपनी ओरिएंट क्रॉफ्ट का सालाना 700 करोड़ रुपये का कारोबार है।
उन्होंने कहा कि मंदी के बावजूद ऑर्डर में खास कमी नहीं आई है। ढींगरा का बयान उस समय आया है, जब कपड़ा मंत्रालय की ओर से यह अनुमान जताया गया कि मार्च 2009 में समाप्त वित्त वर्ष में परिधान निर्यात 30 फीसदी रहेगा। सच तो यह है कि परिधान निर्यातकों को डिफाल्ट की समस्या से जूझना पड़ रहा है।
क्रेडिट एक्सपोर्ट गारंटी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (ईसीजीसी), जो निर्यातकों को बीमा की सुविधा प्रदान करती है, उसका कहना है कि वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान बीमा दावा में 60 फीसदी का इजाफा हुआ है, जिनमें से करीब 50 फीसदी कपड़ा उद्योगों की ओर से किया गया है। इससे स्पष्ट है कि कपड़ा निर्यातकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
बेंगलुरु स्थित गोकलदास एक्सपोट्र्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक राजन हिंदुजा का कहना है कि निर्यात में थोड़ी कमी आई है, लेकिन उनके ग्राहकों की संख्या में किसी तरह की कमी नहीं आई है। हिंदुजा ने बताया कि कंपनी हर तिमाही औसतन 270 करोड़ रुपये का कारोबार करती है, लेकिन मंदी की वजह इस तिमाही में उनका कारोबार 255 करोड़ रुपये ही रहा।
उल्लेखनीय है कि गोकलदास देश की प्रमुख निर्यातक कंपनी है, जिसका सालाना कारोबार करीब 650 करोड़ रुपये का है।
कपड़ा निर्यातक छोटी कंपनियों को नए ऑर्डर मिलने में आ रही परेशानी, मौजूदा ग्राहक भी कर रहे हैं किनारा
ईसीजीसी के मुताबिक, वित्तीय संकट के चलते डिफॉल्टरों की संख्या में हो रहा है इजाफा
बड़ी कंपनियों को मिल रहे हैं अब भी ऑर्डर
