दिल्ली हाईकोर्ट ने बंद पड़े गो फर्स्ट (Go First) के विमानों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि वैश्विक लीजिंग कंपनियों की तरफ से जो भी विमान गो फर्स्ट को लीज यानी पट्टे पर दिए गए हैं उनका अंतरिम रखरखाव और निरीक्षण लीजिंग कंपनियां (पट्टादाता) कर सकती हैं।
हाईकोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि पट्टे पर देने वाली कंपनियां विमानों का रखरखाव तब तक कर सकती हैं जब तक कि उनके विमानों का रजिस्ट्रोशन रद्द करने की उनकी याचिका का अंतिम निपटान नहीं हो जाता।
गौरतलब है कि गो फर्स्ट (Go First) ने दिवालिया याचिका दायर की है और यह इस समय दिवालियापन संरक्षण में है। इसकी उड़ानें करीब दो महीनों से ठप्प पड़ी हुई हैं। ऐसे में दिल्ली हाईकोर्ट की जज तारा विस्टा गंजू ने कहा कि लीजर्स के विमान काफी कीमती हैं और उनका रेगुलर मेंटिनेंस होते रहना जरूरी है ताकि किसी भी तरह के नुकसान से बचा जा सके।
हाईकोर्ट ने कहा कि नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) और एयरपोर्ट अथ़ॉरिटी पट्टादाता कंपनियों के कर्मचारियों और इसके एजेंटों को एयरपोर्ट का एक्सेस देगा।
रिपोर्ट ने बताया कि एयरलाइन कंपनी के पास पट्टेदारों के 30 विमान हैं, जो एयरपोर्ट पर पार्क किए जाते हैं। हाईकोर्ट ने कहा है कि इन सभी विमानों का निरीक्षण आज से 3 दिनों के भीतर पट्टेदारों की तरफ से पूरा किया जाए। अदालत ने यह भी कहा कि पट्टादाता कंपनियां रिट याचिकाओं के अंतिम निपटान तक महीने में दो बार 30 विमानों का निरीक्षण और अंतरिम रखरखाव कार्य करेंगे।
हाईकोर्ट जज गंजू ने कहा कि इस बात से मना नहीं किया जा सकता है लीजर्स (पट्टादाताओं) के विमान काफी कीमती नहीं हैं। जज ने गो एयर (Go Air) के सभी डॉयरेक्टर्स, सारे कर्मचारियों, और NCLAT द्वारा नियुक्त रिजॉल्यूसन प्रोफेशनल्स या उनके प्रतिनिधियों को विमान के किसी भी हिस्से में बदलाव करने या उसे स्थानांतरित करने या हटाने से भी रोक दिया है।
Also read: Paytm का GMV जून तिमाही में 37 फीसदी बढ़कर 4.05 लाख करोड़ रुपये हुआ
नकदी से जूझ रही कंपनी गो फर्स्ट ने मंगलवार को अपनी उड़ान कुछ और दिनों के लिए बढ़ा दी है। कंपनी ने कहा कि अब उसने अपनी शेड्यूल्ड फ्लाइट्स को 10 जुलाई तक के लिए और टाल दिया है। दिवालिया समाधान प्रक्रिया से गुजर रही इस एयरलाइन कंपनी ने 3 मई को अपनी सभी उड़ानें बंद कर दी थी। इसके बाद 22 मई को नैशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के उस आदेश को बरकरार रखा जिसके तहत गो एयरलाइंस (इंडिया) लिमिटेड के खिलाफ कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू की गई थी।
कंपनी को विमान पट्टे पर देने वाली कंपनियों में पेंब्रोक एयरक्रॉफ्ट लीजिंग 11 लिमिटेड (Pembroke Aircraft Leasing 11 Limited), एसएमबीसी एविएशन कैपिटल लिमिटेड (SMBC Aviation Capital Limited), एक्सिपिटर एनवेस्टमंट एयरक्रॉफ्ट 2 लिमिटेड (Accipiter Investments Aircraft 2 Limited) और ईओएस एविएशन 12 (EOS Aviation 12) शामिल हैं।
Also read: 2400 करोड़ रुपये जुटाएगी PharmEasy, 1000 करोड़ का निवेश करेगा मणिपाल ग्रुप
गो फर्स्ट ने फाइनैंशियल संकट का हवाला देते हुए कहा कि तीन मई से कंपनी ने अपने विमानों की उड़ानें बंद कर दी हैं। कंपनी ने इसके बाद अपने को दिवालिया घोषित करते हुए न्यायाधिकरण के सामने अर्जी लगाई। मामला जब NCLAT के पास पहुंचा को उसने दिवाला कार्यवाही को चलाने की मंजूरी दे दी और समाधान के लिए समाधान पेशेवरों (रिजॉल्यूसन प्रोफेशनल्स) की नियुक्ति कर दी।
Also read: भारतीय कंपनियों के कर्ज मुक्त होने की रफ्तार धीमी
इस दौरान एयरलाइन को पट्टे पर विमान देने वाली कंपनियों ने अपने विमानों को हटाने का नोटिस भेज दिया। एयरलाइन कंपनी गो फर्स्ट ने विमान लौटाने से इनकार कर दिया और कहा कि यह न्याय नहीं होगा। कंपनी ने कहा कि ऐसा करना 7,000 कर्मचारियों वाली एयरलाइन कंपनी को खत्म करने की तरह होगा। इस मामले की अगली सुनवाई के लिए तीन अगस्त की तारीख तय की गई है।