महंगाई की रफ्तार पर लगाम लगने लगी है और सरकार ने पिछले दिनों अर्थव्यवस्था को मंदी की गिरफ्त से दूर करने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए हैं,
पर उसके बावजूद ऐसी संभावनाएं नजर नहीं आतीं कि अर्थव्यवस्था का मिजाज 2009 के आखिर से पहले बदल पाएगा।
अमेरिका में सब-प्राइम संकट की शुरूआत के बाद से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसका जो असर दिखना शुरू हुआ है, उससे भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्र भी प्रभावित हुए हैं।
राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) के संयोजक और सिंडीकेट बैंक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक जॉर्ज जोसेफ ने बताया कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में जो भूचाल आया था उसका असर भारत के एसएमई क्षेत्र पर भी पड़ा है।
एसएलबीसी की विशेष बैठक को संबोधित करते हुए जोसेफ ने कहा, ‘अर्थव्यवस्था के सतत और संतुलित विकास में छोटे उद्योगों का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। छोटे उद्योगों से रोजगार के अवसर पैदा होते हैं और निर्यात को भी बढ़ावा मिलता है। देश के कुल विनिर्माण उत्पादन में एसएमई क्षेत्र का योगदान करीब 39 फीसदी का है।
वहीं कुल राष्ट्रीय निर्यात में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी 33 फीसदी की है। एसएमई क्षेत्र की कुल 1.28 करोड़ इकाइयों में करीब 3.12 करोड़ लोग काम कर रहे हैं। भारत सरकार और रिजर्व बैंक ने इस क्षेत्र के विकास के लिए कई कदम उठाए हैं।’
जोसेफ के मुताबिक आर्थिक मंदी के कारण एसएमई क्षेत्र पर जो दबाव बना हुअ है, उसे दूर करने के लिए बैंकों का सहयोग बहुत जरूरी है। सरकार और आरबीआई के दिशा निर्देशों को ध्यान में रखते हुए बैंकों ने एसएमई क्षेत्र को दिए जाने वाले कर्ज को दोगुना करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।
बैंकों का लक्ष्य है कि मार्च 2005 में एसएमई क्षेत्र को जो कर्ज दिया गया था अगले पांच सालों में, यानी कि मार्च 2010 तक उसे दोगुना कर लिया जाए।
कर्नाटक में सूक्ष्म, छोटे और मझोले उद्योगों को दिया जाने वाला कर्ज सितंबर, 2007 के 9,278 करोड़ रुपये की तुलना में बढ़कर सितंबर, 2008 में 15,270 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।
इस तरह राज्य में इन उद्योगों को बांटा जाने वाला कर्ज 64.58 फीसदी की दर से बढ़ा है। जोसेफ ने कहा कि बैंकों ने दिसंबर, 2008 तक गारंटी योजना के तहत 9,689 खातों को शामिल कर लिया था।
उन्होंने कहा कि बैंकों के अलावा सरकारी एजेंसियों, विकास संस्थानों, मझोले और बड़े उद्योगों की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वे एसएमई क्षेत्र के विकास में मदद करें। उनसे इस दिशा में प्रयास करने का आग्रह किया गया है।
वहीं कर्नाटक लघु उद्योग संगठन के अध्यक्ष अरविंद एन बुरजी ने एसएमई क्षेत्र के लिए एक साल तक ‘टैक्स हॉलिडे’ की मांग की ताकि वे मौजूदा संकट से उबर सकें।