भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) का प्रबंधन करने वाले निवेश बैंकरों ने इसके लिए सरकार द्वारा तय न्यूनतम आधार मूल्य जितने यानी 1 करोड़ रुपये शुल्क की मांग की है। मामले की जानकारी रखने वाले कम से कम चार लोगों ने इसकी पुष्टि की।
यह शुल्क एलआईसी की शेयर बिक्री के प्रबंधन के लिए चुने गए 10 बैंकों के बीच बांटा जाएगा। देसी बाजार में यह अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ होगा, जिससे शेयर बिक्री में शामिल बैंकों को भी काफी फायदा होगा।सूत्रों के अनुसार निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने गोल्डमैन सैक्स, कोटक महिंद्रा बैंक, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज, जेपी मॉर्गन, सिटीग्रुप, ऐक्सिस कैपिटल, नोमुरा, बैंक ऑफ अमेरिका, एसबीआई कैपिटल मार्केट्स और जेएम फाइनैंशियल को चुना है।
एलआईसी की शेयर बिक्री का जिम्मा संभालने की दौड़ में कुल 16 निवेश बैंक शामिल थे। सूत्रों के अनुसार दीपम ने बैंकों की वित्तीय बोली और उनके पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए बैंकों का चयन किया है।
एक निवेश बैंकर ने कहा, ‘कुछ बैंकों ने सरकार द्वारा तय आधार मूल्य पर बोली नहीं लगाई, जिसकी वजह से उन्हें नहीं चुना गया। बैंकों के अलावा बीमा क्षेत्र के आईपीओ को जिम्मा संभालने वालों को प्राथमिकता दी गई है।’ सरकार ने पहली बार सार्वजनिक उपक्रम की शेयर बिक्री का प्रबंधन करने के लिए न्यूनतम शुल्क की घोषणा की है। एलआईसी के आरएफपी के अनुसार बोलीदाताओं को 1 करोड़ रुपये या अधिक की वित्तीय बोली जमा करनी थी। अतीत में आधार शुल्क तय नहीं होने की वजह से बैंकरों ने बड़ी शेयर बिक्री जैसे कोल इंडिया आदि के लिए महज 1 रुपये सांकेतिक शुल्क पर बोली लगाई थी।
एक अन्य निवेश बैंकर ने कहा, ‘यह काफी बड़ा सौदा है, इसलिए सरकार ने निवेश बैंकरों को कुछ शुल्क देने का निर्णय किया है। एलआईसी के आईपीओ का प्रबंधन करना बड़ी बात है, ऐसे में बैंकर बिना कोई शुल्क लिए भी इसके लिए राजी हो जाते। लेकिन इतने बड़े निर्गम के लिए बैंकरों को 10 से 20 करोड़ रुपये का बुनियादी खर्च भी करना पड़ सकता है।’
आम तौर पर निजी क्षेत्र के बड़े आईपीओ का प्रबंधन करने वाले निवेश बैंकर जुटाई गई राशि का 1 से 3 फीसदी तक शुल्क वसूलते हैं। एलआईसी के आईपीओ दस्तावेज के अनुसार रोड शो, यात्रा आदि का खर्च निवेश बैंकरों को उठाना होगा। लेकिन एलआईसी के अधिकारियों का यात्रा का खर्च सरकार उठाएगी।
प्राइम डेटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा, ‘एलआईसी के ब्रांड और भारत के सबसे बड़े आईपीओ को देखते हुए इसका हिस्सा बनना निश्चित तौर पर प्रतिष्ठïा की बात है। ऐसे में शुल्क कोई मायने नहीं रखता है क्योंकि इतने बड़े आईपीओ का प्रबंधन करने से निवेश बैंकरों की साख में जबरदस्त बढ़ोतरी होती है। एलआईसी जाना-पहचाना और प्रतिष्ठित ब्रांड है, ऐसे में इसके लिए ज्यादा मार्केटिंग की भी जरूरत नहीं होगी। लेकिन बहुत कुछ इसके निर्गम मूल्य पर निर्भर करेगा।’ बाजार की स्थिति और निवेश बैंकरों की प्रतिक्रिया के आधार पर एलआईसी के आईपीओ का आकार 50,000 करोड़ रुपये से 1 लाख करोड़ रुपये के बीच रह सकता है।