ऐपल ने भारत में अपने विशिष्ट उपयोगकर्ताओं के आईफोन हैक होने की जानकारी देते हुए दावा किया है कि ‘सरकार प्रायोजित सेंधमारी’ ने नेताओं, पत्रकारों के आईफोन हैक करने की कोशिश की है और खास तौर पर केंद्र सरकार की आलोचना करने वालों के आईफोन हैक करने की कोशिश हुई है। मंगलवार को इस कथित जासूसी के मामले पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। शशि थरूर, महुआ मोइत्रा और राघव चड्ढा सहित विपक्ष के कई सांसदों ने एक्स पर ऐपल द्वारा भेजे गए संदेशों और ईमेल के स्क्रीनशॉट साझा किए।
कंपनी की तरफ से भेजे गए ईमेल में कहा गया, ‘ऐपल का मानना है कि सरकार प्रायोजित हमलावरों द्वारा आपको निशाना बनाया जा रहा है। ये हैकर आपकी ऐपल आईडी से जुड़े आईफोन को दूर से हैक करने की कोशिश कर रहे हैं।’ इसमें यह भी कहा गया है कि संभव है कि यह एक गलत चेतावनी हो लेकिन उपयोगकर्ताओं को इसे गंभीरता से लेना चाहिए।
ऐपल के सपोर्ट पेज के अनुसार ऐसे अलर्ट नोटिफिकेशन उन विशेष उपयोगकर्ताओं को भेजे जाते हैं जब व्यक्तिगत तौर पर उनकी हैकिंग उनके काम या उनकी पहचान की वजह से की जाती है। हालांकि कंपनी इस बारे में कोई जानकारी नहीं देती है कि इस खतरे के नोटिफिकेशन को जारी करने का क्या कारण है क्योंकि इससे सरकार प्रायोजित हमलावरों को भविष्य में अपनी पहचान छिपाने के लिए अपनी रणनीति में बदलाव करने में मदद मिल सकती है।
इस फीचर की शुरुआत होने के बाद से इस तरह के नोटिफिकेशन लगभग 150 देशों में कई लोगों को भेजे गए हैं। ऐपल के आईफोन को बाजार में सबसे सुरक्षित इस वजह से माना जाता है क्योंकि इसमें बेहतर सुरक्षा और गोपनीयता वाले मॉडल के साथ-साथ आईडी एन्क्रिप्शन फीचर के चलते ही आईफोन के चोरी होने या किसी तरह का नुकसान पहुंचने पर उपयोगकर्ता अपने डेटा को डिलीट कर सकता है।
वर्ष 2021 में शुरू ऐपल थ्रेट नोटिफिकेशन, उन उपयोगकर्ताओं को सूचित करने और उनकी मदद करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिन्हें सरकार प्रायोजित हमलावरों द्वारा लक्षित किया जा सकता है।
ऐपल ने अपने सपोर्ट पेज पर कहा है, ‘पारंपरिक साइबर अपराधियों के विपरीत, सरकार प्रायोजित हमलावर कुछ खास लोगों और उनके आईफोन को लक्षित करने के लिए असाधारण संसाधनों का इस्तेमाल करते हैं जिससे इन हमलों का पता लगाना और रोकना बहुत कठिन हो जाता है। सरकार प्रायोजित हमले बेहद जटिल होते हैं और इनकी तैयारी में ही लाखों डॉलर खर्च होते हैं और इनकी अवधि बेहद कम समय की होती है। अधिकांश उपयोगकर्ता इस तरह के हमलों का शिकार नहीं होंगे।’
विपक्ष ने इस मामले पर सरकार पर निशाना साधते हुए इसे नागरिकों के मौलिक अधिकार का उल्लंघन बताया है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि उनके कार्यालय के लोगों कई अन्य दलों और अन्य विपक्षी नेताओं को यह चेतावनी मिली थी और यह सरकार का अदाणी मुद्दे पर से ध्यान भटकाने वाली राजनीति का हिस्सा है।
माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने अपने आईफोन पर मिली चेतावनी की प्रति संलग्न करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। येचुरी ने अपने पत्र में लिखा, ‘यह भारत के संविधान द्वारा अपने सभी नागरिकों को दी गई मौलिक अधिकारों की गारंटी का उल्लंघन है। निगरानी वाला राज्य लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ है।’
केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सरकार इस मुद्दे को लेकर बहुत चिंतित है और उसने इस मुद्दे की तह तक जाने के लिए जांच शुरू कर दी है। उन्होंने कहा, ‘मीडिया रिपोर्टों के अनुसार उन्हें मिले नोटिफिकेशन में उनके आईफोन पर सरकार प्रायोजित हमलों का जिक्र है। हालांकि इस मुद्दे पर ऐपल द्वारा दी गई अधिकांश जानकारी स्पष्ट नहीं है और यह उतनी विशिष्ट जानकारी भी नहीं है।’
मंत्री ने आगे कहा कि ऐपल को सटीक तथ्य देकर जांच में सहयोग करना चाहिए। वैष्णव ने कहा, ‘इस तरह की सूचना और व्यापक स्तर पर लगाई जा रही अटकलों को देखते हुए हमने ऐपल से कथित सरकार प्रायोजित हमलों के बारे में वास्तविक और सटीक सूचना की मांग के साथ ही इसे जांच में शामिल होने के लिए कहा है।’
ऐपल ने खबर लिखे जाने तक बिज़नेस स्टैंडर्ड की ओर से भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं दिया है।
डिजिटल रूप में संग्रहित डेटा की गोपनीयता को लेकर लंबे समय से चिंता जताई जा रही है और यह भारत में चर्चा का विषय भी है। देश के बहुप्रतीक्षित डेटा गोपनीयता कानून, डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 पर सरकार ने इस साल अगस्त में मुहर लगाई है।
कानून के तहत डेटा उल्लंघन के प्रत्येक मामले के लिए 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना निर्धारित किया गया है और दो बार दंडशुल्क लगाए जाने के मामले के बाद भी कानून का पालन नहीं करने वाली संस्थाओं के काम को रोकने की बात भी है। हालांकि यह अभी तक लागू नहीं किया गया है क्योंकि अभी वे नियम स्पष्ट नहीं हैं जो इसकी सटीक प्रक्रिया को तय करें।