एयर इंडिया की कानूनी और ग्राहक अनुभव टीम ने विमानन कंपनी के निजीकरण से पहले ग्राहकों द्वारा दायर किए गए 600 से अधिक अदालती मामलों में से 25 प्रतिशत का आपसी रजामंदी से समाधान किया है। विमानन कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक कैंपबेल विल्सन ने आज यह जानकारी दी।
कर्मचारियों को दिए गए एक संदेश में उन्होंने बताया कि इनमें से कुछ मामले 15 साल से भी अधिक पुराने हैं। यह संदेश बिजनेस स्टैंडर्ड ने भी देखा है। इसमें उन्होंने कहा ‘पिछले कुछ महीनों के दौरान उन्होंने आपसी रजामंदी से तकरीबन एक-चौथाई लंबित मामलों का समाधान कर लिया है और बाकी पर लगातार काम कर रहे हैं।’
टाटा समूह ने सरकार द्वारा संचालित इस विमानन कंपनी के लिए बोली जीतने के लगभग चार महीने बाद जनवरी 2022 में एयर इंडिया की कमान संभाली थी। विल्सन ने कहा कि कुछ ग्राहक इस नए प्रयास से इतने प्रभावित हुए हैं कि उन्होंने इतने लंबे समय से लंबित मामलों को हल करने के लिए हमारे सक्रिय कदम की सराहना करते हुए तारीफ भी लिखी है।
उन्होंने अपने संदेश में विस्तार का एयर इंडिया में विलय करने के लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) द्वारा 1 सितंबर को जारी मंजूरी का भी जिक्र किया है।
उन्होंने बताया है कि यह टाटा की चार विमानन कंपनियों को अंतत: दो कंपनियों – एक पूर्ण सेवा वाली और एक किफायती, में एकीकृत करने की दिशा में स्वागत योग्य और महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि यह एकमात्र कदम नहीं है। इससे पहले कि हम एक्सीलेटर को पूरी तरह से दबा सकें, हमें सिंगापुर सहित कुछ अन्य न्यायिक क्षेत्रों के प्रतिस्पर्धा विनियामकों से भी मंजूरी की जरूरत है। उन्होंने कहा कि एयर इंडिया अन्य मंजूरियां हासिल करने की दिशा में काम कर रही है और इस बीच वह एकीकरण की योजना भी बना रही है, जो भविष्य के विमानन समूह को अधिक मजबूत बनाएगा।
विमानन क्षेत्र की विश्लेषक फर्म सीरियम के अनुसार 1 अगस्त तक एयर इंडिया के पास 74 एयरबस विमान और 53 बोइंग विमान थे।