सिप्ला और मैट्रिक्स जैसी दवा कंपनियों और मरीजों से जुड़े समूहों ने स्विट्जरलैंड की कंपनी ला रॉश को वल्गैन्सीक्लोविर दवा का पेटेंट दिए जाने पर अलग अलग आपत्ति दर्ज कराई हैं।
यह अंग प्रत्यारोपण कराने वाले मरीजों और एचआईवीएड्स की दवा है। चेन्नई पेटेंट कार्यालय ने स्विटजरलैंड की हॉफमान-ला रॉश इंक. (रॉश) को पिछले साल वल्गैंसीक्लोविर के लिए पेटेंट प्रदान किया था। देश की सबसे बड़ी दवा निर्माता कंपनी रैनबैक्सी के भी इस प्रतिस्पर्धा में शामिल होने की संभावना है, क्योंकि भारत में इस दवा का कोई भी पेटेंट रैनबैक्सी को विकसित बाजारों में इस तरह की दवा बेचने से रोकेगा।
रैनबैक्सी ने हाल ही में वल्गैंसीक्लोविर के निर्माण और बिक्री के लिए अमेरिकी खाद्य एवं दवा प्रशासन से प्रारंभिक मंजूरी हासिल की है। सिप्ला के संयुक्त प्रबंध निदेशक अमर लूला ने इस पेटेंट के खिलाफ विरोध दर्ज कराए जाने की पुष्टि की है।