रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में काम करने वाली अदाणी ग्रुप की कंपनी, अदाणी ग्रीन एनर्जी (Adani Green Energy) ने डॉलर बॉन्ड (US dollar-denominated bonds) के माध्यम से धन जुटाने की योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने मंगलवार देर रात को इस मामले से परिचित दो बैंकिंग सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी। रिपोर्ट के मुताबिक, निवेशकों ने कंपनी की अपेक्षा से अधिक यील्ड पर बोली लगाई, जो कंपनी के लिए स्वीकार्य नहीं थी। इस कारण कंपनी ने धन जुटाने की योजना को रद्द कर दिया।
एक बैंकर के मुताबिक, प्रारंभिक मार्गदर्शन के तहत 20 साल की परिपक्वता अवधि के लिए 7 प्रतिशत यील्ड की पेशकश की गई थी। बैंकर ने कहा, “कुछ निवेशक उच्च यील्ड की मांग कर रहे थे, जो कंपनी के हिसाब से सही नहीं थी, इसलिए उन्होंने इस सौदे को रद्द करने का निर्णय लिया।”
इस संबंध में रॉयटर्स के भेजे गए ई-मेल का अदाणी ग्रीन एनर्जी ने कोई जवाब नहीं दिया।
दूसरे बैंकर ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों से संबंधित व्यापक बाजार अनिश्चितता और घरेलू राजनीतिक जोखिमों के कारण निवेशक अधिक यील्ड की मांग कर रहे थे, जो बॉन्ड जारीकर्ताओं की पुनर्भुगतान क्षमता को प्रभावित कर सकता है।
अदाणी ग्रुप ने शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों के लगभग एक साल के बाद, वर्ष 2024 की शुरुआत में डॉलर बॉन्ड बाजार में वापसी की। इन आरोपों के कारण ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में 150 अरब डॉलर की गिरावट आई थी।
मार्च में, अदाणी ग्रीन एनर्जी ने लगभग 3 अरब डॉलर की बोलियां प्राप्त करने के बाद 18-वर्षीय बॉन्ड के माध्यम से 40.9 करोड़ डॉलर जुटाए।
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ताजा बॉन्ड इश्यू का नेतृत्व अदाणी ग्रीन की यूनिट्स – अदाणी हाइब्रिड एनर्जी जैसलमेर वन, अदाणी हाइब्रिड एनर्जी जैसलमेर टू, अदाणी हाइब्रिड एनर्जी जैसलमेर फोर और अदाणी सोलर एनर्जी जैसलमेर वन ने एक संरचित बॉन्ड डील के माध्यम से किया था।
चारों सहायक कंपनियों को भेजे गए ईमेल का भी कोई जवाब नहीं मिला।
फिच रेटिंग्स के एक नोट के मुताबिक, प्रत्येक यूनिट को दूसरों के दायित्वों की गारंटी देनी थी, जबकि बॉन्ड इश्यू से जुड़े अनुबंध सामूहिक आधार पर निर्धारित किए जाएंगे।
फिच रेटिंग्स ने कहा है कि इस बॉन्ड से प्राप्त राशि का उपयोग सहायक कंपनियों के मौजूदा डॉलर-निर्देशित निर्माण ऋणों के रिफाइनैंस के लिए किया जाना था।