अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद सोने को इग्लैंड से अमेरिका भेजने का जो सिलसिला पिछले साल नवंबर के आखिर से शुरू हुआ वह मार्च तक कमोबेश चलता रहा। लेकिन इस दौरान जितना सोना लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (London Bullion Market Association) की तिजोरी से न्यूयॉर्क स्थित कॉमेक्स (COMEX) की तिजारी में शिफ्ट हुआ, वह संभव नहीं हो पाता यदि स्विट्जरलैंड ने इसमें मदद नहीं की होती। लेकिन उल्टे डोनाल्ड ट्रम्प ने स्विट्जरलैंड से आयात पर 32 फीसदी टैरिफ लगा दिया। जबकि यूरोपीय यूनियन पर 20 फीसदी टैरिक लगाया गया है।
क्यों स्विट्जरलैंड के जरिए अमेरिका पहुंचता है सोना ?
स्विट्जरलैंड दुनिया का सबसे बडा रिफाइनिंग हब है। यहां दुनिया भर का 70 फीसदी सोना रिफाइन किया जाता है। भारत भी अपनी जरूरत का करीब आधा हिस्सा स्विट्जरलैंड से खरीदता है। लंदन में सोने मे लेन-देन 400 औंस यानी 12.5 किलोग्राम के सोने के बार (gold bar) में होता है। इसलिए लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन की तिजोरी में सोने के बार इसी वजन के रखे जाते हैं। ये गोल्ड बार ईट की तरह दिखते हैं। वहीं कॉमेक्स की तिजोरी में 100 औंस (2.83 किलोग्राम) यानी स्मार्टफोन साइज के सोने के बार को रखा जाता है। सोने को लंदन से न्यूयॉर्क पहुंचाने के लिए यह जरूरी है कि 12.5 किलोग्राम के सोने के बार को 2.83 किलोग्राम के बार में बदला जाए। इसलिए सोने को न्यूयॉर्क पहुंचाने से पहले स्विट्जरलैंड भेजा जाता है। नवंबर के बाद से स्विट्जरलैंड से यूएस को सोने के निर्यात में इसी वजह से इतनी ज्यादा बढ़ोतरी आई। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) के मुताबिक सोने को लंदन से न्यूयॉर्क भेजने पर अतिरिक्त 3 से 5 डॉलर प्रति औंस का खर्च उठाना पड़ता है।
दिसंबर और फरवरी के बीच स्विट्जरलैंड ने रिकॉर्ड 414 टन सोना यूएस को भेजा
जनवरी के दौरान स्विट्जरलैंड से यूस को 13 साल में सबसे ज्यादा 192.9 टन सोने का निर्यात किया गया, जबकि दिसंबर 2024 में 64.2 टन सोने का निर्यात किया गया था। फरवरी में 147.4 टन सोने का निर्यात किया गया। दिसंबर और फरवरी के बीच स्विट्जरलैंड ने रिकॉर्ड 414 टन सोना अमेरिका को एक्सपोर्ट किया।
अवधि | सोने का निर्यात |
जनवरी 2024 | 1.59 टन |
दिसंबर 2024 | 64.2 टन |
जनवरी 2025 | 192.9 टन |
फरवरी 2025 | 147.4 टन |
Source: Swiss customs
क्यों अमेरिका शिफ्ट हो रहा था सोना ?
अमेरिका में ट्रंप की जीत के बाद मार्केट में इस बात की संभावना बढ़ गई थी कि शायद गोल्ड इंपोर्ट पर भी ट्रंप प्रशासन कहीं जवाबी (reciprocal) टैरिफ न लगा दे। इसी वजह से पिछले 4 महीने से यूएस गोल्ड फ्यूचर्स पर बेंचमार्क LBMA स्पॉट गोल्ड के मुकाबले बहुत ज्यादा या कहें असामान्य प्रीमियम देखने को मिल रहा था। इससे पहले इस तरह का प्रीमियम नहीं देखने को मिलता था। इस असामान्य प्रीमियम का फायदा उठाने के लिए बैंक और ट्रेडर्स जहाज भर-भर कर सोना अमेरिका शिफ्ट कर रहे थे।
आंकड़े भी इस बात की तस्दीक करते हैं। कॉमेक्स (COMEX) से मिले ताजा आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में फिलहाल सोने का भंडार बढ़कर 43.3 मिलियन औंस यानी 1,228 टन (135 बिलियन डॉलर) के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। यह अमेरिका में 5 साल की खपत के लिए पर्याप्त है। नवंबर के अंत से इसमें 26.2 मिलियन औंस (743 टन) यानी 80 बिलियन डॉलर का इजाफा हुआ है। दूसरी और लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (LBMA) के खजाने में सोना घटकर 5 साल के निचले स्तर 8,488 टन पर चला गया है।
हालांकि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को जवाबी टैरिफ लगाने की घोषणा की लेकिन उन्होंने गोल्ड को इससे दूर रखा। अमेरिकी राष्ट्रपति के इस ऐलान के साथ ही नियर मंथ यूएस गोल्ड फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट और बेंचमार्क LBMA स्पॉट गोल्ड के बीच स्प्रेड यानी EFP (Exchange-for-Physical) घटकर अब 20 डॉलर के आस पास आ गया है। ट्रंप के जवाबी टैरिफ के ऐलान से ठीक एक दिन पहले 1 अप्रैल को यूएस गोल्ड फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट और बेंचमार्क LBMA स्पॉट गोल्ड के बीच 62 डॉलर प्रति औंस से ज्यादा का स्प्रेड दर्ज किया गया था।