खाद्य तेलों की बढ़ी कीमतों के बीच केंद्र सरकार ने वनस्पति तेल उत्पाद, उत्पादन और उपलब्धता (विनियमन) आदेश, 2011 (वीओपीपीए) में बदलाव का प्रस्ताव रखा है। इसके तहत आधुनिक तरीकों से सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टेड तेल सहित वनस्पति तेल या किसी भी संबंधित उत्पाद के सभी उत्पादकों और विक्रेताओं को विनियमित करने का प्रयास किया गया है।
कुछ दिन पहले जारी किए गए इस आदेश में यह भी कहा गया है कि अगर कोई निर्धारित समय के भीतर अपना पंजीकरण कराने में विफल रहता है, उस पर जुर्माना लगाया जाएगा। इन संशोधनों से खाद्य मंत्रालय के तहत आने वाले चीनी और वनस्पति तेल निदेशालय (डीवीएसओ) को अधिकार मिल जाएगा कि वह किसी भी या सभी वनस्पति तेल उत्पादों के उत्पादन में किसी भी वनस्पति तेल के उपयोग की अधिकतम या न्यूनतम सीमा निर्धारित कर सके।
इसमें यह कहा गया है कि वनस्पति तेलों या वनस्पति तेल उत्पादों का प्रत्येक उत्पादक हर पखवाड़े अपने प्रसंस्करण इकाई में प्राप्त तेल की मात्रा और उनके द्वारा उपयोग की गई मात्रा का विवरण प्रस्तुत करे। उन्हें अपने पास रखे स्टॉक, एक्सट्रैक्टेड सॉल्वेंट की मात्रा और किस्मों, पिछले एक महीने में उत्पादित और बेची गई मात्रा का पूरा विवरण भी देना होगा।
इस आदेश पर घरेलू खाद्य तेल व्यापार के एक वर्ग ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जिसे उद्योग में लाइसेंस राज और विनियमन वापस आने का डर है।
उद्योग से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘भारत में 15,000 से अधिक तेल मिलें और 250 से अधिक वनस्पति निर्माण इकाइयां हैं, जिनमें से अधिकांश छोटे पैमाने पर उत्पादन करती हैं। उनके लिए पंजीकरण और डेटा प्रस्तुत करना अनिवार्य करने से उनके संचालन में अनावश्यक बाधा पैदा होगी।’ उन्होंने कहा कि इस आदेश को पूरी तरह से लागू करने से पहले सभी हितधारकों के बीच सावधानीपूर्वक विचार-विमर्श और चर्चा की जानी चाहिए।