उत्तर प्रदेश में 2008-09 सीजन के लिए गन्ने की पेराई महीने भर में शुरू होने वाली है। इसके बावजूद राज्य के गन्ना किसानों और चीनी मिल मालिकों के बीच कीमतों को लेकर चला आ रहा विवाद अब भी जारी है।
राज्य के किसान सरकार से जहां गन्ने के एवज में 160 रुपये प्रति क्विंटल की मांग कर रहे हैं वहीं चीनी उद्योग मांग कर रहा है कि राज्य सरकार इसकी कीमत (राज्य समर्थित मूल्य; एसएपी) 112 रुपये प्रति क्विंटल तय करे।
2008-09 सीजन में गन्ने की एसएपी तय करने के लिए राज्य के मुख्य सचिव अतुल कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में गठित कोर समिति ने इस मसले पर विचार करने के लिए शुक्रवार को लखनऊ में एक बैठक बुलाई। इस बैठक में राज्य के वित्त, न्याय मंत्रालय और गन्ना सचिवों ने भाग लिया।
साथ ही राज्य के गन्ना आयुक्त सहित कई विशेषज्ञ और चीनी और खांडसारी मिलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। अब इसके बाद यह समिति राज्य सरकार को अपनी राय भेजेगी जिसके आधार पर इस महीने के अंत में सरकार गन्ने की एसएपी घोषित करेगी। पिछले साल 30 अक्टूबर को गन्ने की एसएपी घोषित हुई थी जो प्रति क्विंटल 125 रुपये तय की गई थी।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार हर साल गन्ने की एसएपी तय करती है। इसके आधार पर ही चीनी मिल मालिक गन्ना किसानों को भुगतान करते हैं। यही नहीं केंद्र सरकार भी हर साल गन्ने का न्यूनतम सांविधिक मूल्य (एसएमपी) घोषित करती है। सामान्यत: एसएमपी एसएपी से ज्यादा रहता है।
सहारनपुर के गन्ना समूह के अध्यक्ष योगेश दहिया ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि किसानों ने समिति के सामने यह बात रखी कि गन्ने की वास्तविक उत्पादन लागत 200 रुपये प्रति क्विंटल बैठ रही है। लेकिन चीनी उद्योग के हितों का ख्याल करते हुए किसान गन्ने की कीमत 160 रुपये प्रति क्विंटल रखे जाने पर की मांग कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि चीनी मालिक केवल चीनी की कीमत के आधार पर ही गन्ने की कीमतें तय करना चाहते हैं जो कि सही नहीं है। उनके मुताबिक सही बात तो यही है कि गन्ने के एथेनॉल जैसे कई सहोत्पाद होते हैं। इसलिए इन सभी की कीमतों का ख्याल करते हुए कीमतें तय की जानी चाहिए।
आधिकारिक सूत्रों ने भी बताया कि किसानों की मांग है कि गन्ने की कीमतें केवल चीनी की बजाय गन्ने के सभी उत्पादों को ध्यान में रखते हुए तय की जाए। गौरतलब है कि राज्य में 40 लाख गन्ना किसान हैं जबकि राज्य के चीनी मिलों को करीब 8 करोड़ टन गन्ने की जरूरत है।
वैसे 2007-08 सीजन के लिए इन मिलों के पास किसानों का 182 करोड़ रुपये बकाया है। पिछले साल राज्य में करीब 16 करोड़ टन गन्ना पैदा किया गया था। अनुमान है कि मौजूदा सीजन में गन्ने के उत्पादन में करीब 25 फीसदी की कमी हो जाएगी।