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गन्ने की मिठास घटी, किसानों की नजर हटी

Last Updated- December 07, 2022 | 3:43 AM IST

किसानों की अच्छी खासी संख्या का गन्ना उपजाना छोड़कर दूसरे फसलों जैसे अनाज और तिलहन आदि के उत्पादन में लग जाने से संभावना जतायी जा रही है कि अगले सीजन में गन्ने के उत्पादन में 15 फीसदी तक की कमी आ जाएगी।


ऐसा इसलिए भी कि इस साल जहां अनाजों की कीमत में 65 फीसदी तक की वृद्धि हुई है वहीं गन्ने की कीमत लगभग स्थिर बनी हुई है। एनसीडीईएक्स के सूत्रों के मुताबिक, 2008-09 के सीजन (अक्टूबर से सितंबर तक) में चीनी का कुल उत्पादन घटकर 2.4 करोड़ टन तक चले जाने की उम्मीद है, जबकि इस साल चीनी का उत्पादन 2.8 करोड़ टन रहने का अनुमान है। पिछले साल तो 3 करोड़ टन चीनी तैयार हुआ था।

उत्पादन में कमी होने की एक वजह तो गन्ने के सीजन का देर से शुरू होना है जिसके लिए बारिश और मजदूरों की किल्लत जिम्मेदार रहा है। यही नहीं गन्ने की हार्वेस्टिंग में देर होने से सुक्रोस का काफी नुकसान हुआ जिसकी वजह से भी चीनी के उत्पादन पर असर पड़ा है।

देश के दूसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश का हाल यह है कि बारिश की वजह से खेतों में कीचड़ जमा रहने से गन्ने की तैयार फसल की भी ठीक से हार्वेस्टिंग नहीं हो सकी है। जानकारों का मानना है कि अगले साल बारिश के साथ-साथ हार्वेस्टिंग में देर होने और इसके उत्पादक क्षेत्र में कमी होने से गन्ने की उपज में उल्लेखनीय कमी आ सकती है।

गन्ने की बजाय गेहूं-चावल और तिलहन की खेती से इस साल किसानों को अच्छा लाभ मिला है क्योंकि इस साल अनाजों की कीमत में 65 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है। पर चीनी का हाल यह है कि इस महंगाई के दौर में भी इसका भाव 15 से 16 रुपये प्रति किलो के बीच बना हुआ है।

जानकारों के मुताबिक आइसक्रीम और कोल्ड ड्रिंक्स की वजह से सामान्यत: चीनी की मांग गर्मी के मौसम में बढ़ जाती है पर इस गर्मी में इसकी मांग में अब तक अपेक्षित तेजी नहीं आ पायी है। जो थोड़ी बहुत तेजी भी हुई थी वह ठीक समय पर मानसून के आ जाने से गिरकर पहले के स्तर पर ही पहुंच गया है। इन सभी वजहों से चीनी की कीमत में लगातार कमी हो रही है।

हालांकि इस साल यानि 2007-08 में चीनी का वैश्विक उत्पादन पिछले साल के 16.6 करोड़ टन से बढ़कर 16.84 करोड़ टन होने की उम्मीद है। पर चीनी के कुल वैश्विक खपत में भी बढ़त का अनुमान है जो 2.78 फीसदी बढ़कर 15.91 करोड़ टन तक जा सकता है।

इस तरह इसका कुल वैश्विक उत्पादन इसकी खपत की तुलना में 93 लाख टन ज्यादा है। अंतरराष्ट्रीय चीनी संगठन के मुताबिक, इस साल आयात मांग में वृद्धि होने से चीनी के निर्यात में 33 लाख टन की बढ़ोतरी हो सकती है।

ताजा सरकारी और औद्योगिक आंकड़ों के मुताबिक, इस साल चीनी का उत्पादन 32.5 लाख टन गिरकर 2.9 करोड़ टन तक रह जाएगा। जबकि दुनिया के दूसरे चीनी उत्पादक देशों के उत्पादन में इस साल बढ़ोतरी होने का अनुमान व्यक्त किया गया है।

First Published - June 5, 2008 | 1:52 AM IST

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