वायदा बाजार आयोग (फॉरवर्ड मार्केट्स कमीशन) ने गैर-आधिकारिक (डी-लाइसेंस्ड) जिंसों के वायदा कारोबार को फिर से शुरू करने की अनुमति लेने की प्रक्रिया को कठिन बनाते हुए एकल कमोडिटी एक्सचेंजों पर कड़ा रुख अख्तियार किया है।
जिंस बाजार नियामक ने कम से कम दो मामलों में वायदा को नकदी में बदलने से संबंधित विस्तृत जानकारी कमोडिटी एक्सचेंजों से मांगी है। एफएमसी ने बीते दिनों में इन अनुबंधों के विफल होने का स्पष्टीकरण भी मांगा है।
अतिरिक्त जिंसों के वायदा कारोबार के लिए अनुमति प्राप्त करना विशिष्ट उत्पाद वाले एक्सचेंजों के लिए हमेशा से एक कठिन काम रहा है क्योंकि उनके पास सीमित संसाधन होते हैं। एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए बांबे कमोडिटी एक्सचेंज लिमिटेड (बीसीईएल), जो काफी समय पहले से तेल और तिलहन के वायदा कारोबार का मंच रहा है, ने सभी वनस्पति तेलों और तिलहन (इसमें पाम ऑयल, सूरजूुखी का तेल और बीज, मूंगफली का तेल और मूंगफली तथा तिल का तेल और तिल भी शामिल हैं) के वायदा कारोबार को फिर से शुरू करने की अनुमति मांगी है।
बीसीईएल ने सोयाबीन के लिए अनुमति नहीं मांगी है क्योंकि नियामक ने इस संदर्भ में एक्सचेंज से स्पष्टिकरण की मांग की थी। करीब डेढ़ साल पहले कई खाद्य तेलों और तिलहन के वायदा कारोबार को शुरू करने के लाइसेंस का समय बीत गया था।
जब बीसीईएल ने इन अनुबंधों की वैधता अवधि की समाप्ति के बाद नई अनुमति की मांग की तो एफएमसी ने दूसरे जिंस के वायदा कारोबार की शुरुआत के लिए नई अनुमति के लिए आवेदन करने को कहा। किसी एक्सचेंज को दूसरे जिंस का वायदा कारोबार शुरू करने के लिए नई अनुमति लेने की जरूरत होती है उसके बाद वह विशिष्ट अनुबंधों के लिए आवेदन करने के लिए अधिकृत हो जाता है।
वर्तमान परिस्थिति में जब क्षेत्रीय कमोडिटी एक्सचेंजों पर किए जाने वाले कारोबाराके का रुख धीरे-धीरे राष्ट्रीय कमोडिटी एक्सचेंजों की तरफ हो रहा है तो ऐसे में नये कमोडिटी एक्सचेंजों की सफलता को संदिग्ध निगाहों से देखा जाता है। संसाधनों की कमी, जिसमें कर्मचारी, तकनीक, वित्त व्यवस्था आदि शामिल हैं, को देखते हुए एफएमसी एकल कमोडिटी एक्सचेंजों को नए अनुबंधों की शुरुआत करने की अनुमति देने में काफी सतर्कता बरत रही है।
कुछ महीने बाद, बीसीईएल ने निर्देशानुसार नई अनुमति के लिए आवेदन किया लेकिन एफमसी ने बीते दिनों में इन अनुबंधों की विफलता से संबंधित वृस्तृत जानकारी मांगते हुए प्रक्रिया में देरी की।
बांबे कमोडिटी एक्सचेंज लिमिटेड के प्रेसिडेंट महेंद्र छेडा ने कहा, ‘यद्यपि नियामक द्वारा सभी जानकारियां हमने उपलब्ध कराई है लेकिन खरीफ के तिलहन सीजन को भुनाने का भविष्य कम ही नजर आता है। भारत में इस साल बंपर फसल होगी, और समय पर अनुमति मिल जाने से हमें अच्छी आय हो जाती।’ बीसीईएल अरंडी के बीजों के कारोबार का पेशकश करती है जिससे हर पखवाड़े औसत 2.40 करोड़ रुपये की आय होती है।