महाराष्ट्र की चीनी मिलों में गन्ना पेराई का काम करीब-करीब पूरा हो चुका है। चालू सीजन में राज्य में चीनी उत्पादन अनुमान से कम होने वाला है। जिसका असर निर्यात पर पड़ेगा। राज्य की 210 चीनी मिलों में से सिर्फ 55 में पेराई चल रही है। काम बंद करने वाली कुछ चीनी मिलों ने गन्ना किसानों का पूरा भुगतान नहीं किया जिसके कारण किसान संगठनों ने नाराजगी व्यक्त की है।
दो महीने की देरी से किसानों को मिली FRP- राजू शेट्टी
महाराष्ट्र की कई चीनी मिलों ने अभी तक गन्ना किसानों को उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) का भुगतान नहीं किया है, जबकि पेराई का मौसम लगभग समाप्त होने वाला है। स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के नेता राजू शेट्टी ने राज्य के चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड़ से मुलाकात करके उनसे चीनी मिलों की शिकायत की।
शेट्टी के मुताबिक किसानों का बकाया दो महीने की देरी से आया है। जबकि मिलें अधिक एथेनॉल का उत्पादन करके लाभ कमा रही हैं और साथ ही, चीनी की स्थिर कीमतों से लाभ उठा रही हैं। कानून के अनुसार मिलों को गन्ने की पेराई के 15 दिनों के भीतर FRP का भुगतान करना अनिवार्य है।
8 फीसदी FRP राशि का भुगतान लंबित- महाराष्ट्र चीनी आयुक्त
महाराष्ट्र चीनी आयुक्त के कार्यालय ने कहा कि 92 फीसदी FRP राशि का भुगतान किया गया है, जबकि केवल 8 फीसदी लंबित है। चालू सीजन में अब तक 104 लाख टन गन्ने की पेराई हो चुकी है। गन्ने की कमी के चलते मिलें तेज गति से बंद हो रही है। लगभग सभी मिलें इस महीने के अंत तक बंद हो जाएंगी।
चीनी उत्पादन घटा, पूर्वानुमान से काफी कम
महाराष्ट्र में देश के कुल चीनी उत्पादन का एक तिहाई उत्पादन होता है, राज्य में 2022-23 विपणन वर्ष में 107 से 108 लाख टन चीनी उत्पादन की संभावना है, जो 128 लाख टन के पहले के पूर्वानुमान से काफी नीचे है। महाराष्ट्र ने 26 मार्च तक 103.8 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है, जबकि पिछले साल इस समय तक 116 लाख टन से कम है। इस साल पेराई शुरू करने वाले 210 शुगर मिलों में से, 155 मिलों ने 26 मार्च तक पेराई बंद कर दी थी। 2021-22 में महाराष्ट्र ने रिकॉर्ड 137 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।
210 चीनी मिलों में से 55 में अभी हो रही पेराई
राज्य की 210 चीनी मिलों में से 55 अभी भी काम कर रही हैं। ये फैक्ट्रियां भी तेज गति से चीनी का उत्पादन नहीं कर रही हैं। अगले पंद्रह दिनों में और 5 से 6 लाख टन चीनी का उत्पादन होने की संभावना है। नागपुर मंडल के सभी चीनी मिलों को बंद कर दिया गया है। मार्च के अंत तक कोल्हापुर, सोलापुर, अमरावती में चीनी मिलें पूरी तरह से बंद हो जाएंगी।
चीनी का अतिरिक्त निर्यात नहीं होगा
केंद्र सरकार ने मौजूदा सीजन में केवल 61 लाख टन निर्यात करने की अनुमति दी है, और चीनी उद्योग को उम्मीद थी कि सरकार दूसरी किश्त में लगभग 20 लाख टन के अतिरिक्त निर्यात की अनुमति देगी। जानकारों का कहना है कि महाराष्ट्र के चीनी उत्पादन में तेज गिरावट का मतलब है कि अतिरिक्त निर्यात नहीं होगा। भारत मुख्य रूप से इंडोनेशिया, बांग्लादेश, मलेशिया, सूडान, सोमालिया और संयुक्त अरब अमीरात को चीनी का निर्यात करता है।