कर्ज घटा रहीं इस्पात कंपनियां

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 4:53 AM IST

विश्लेषकों का कहना है कि घरेलू इस्पात कीमतों में तेजी, पूंजीगत खर्च और बहीखाते को कर्ज मुक्त करने के प्रयास मुख्य इस्पात उत्पादकों के लिए अच्छा संकेत होंगे।
इक्रा के उपाध्यक्ष एवं सह-समूह प्रमुख  प्रियेश रूपारेलिया ने कहा, ‘घरेलू इस्पात कंपनियों का मुनाफा रिकॉर्ड स्तरों पर है। भले ही इस्पात कीमतों में 15 से 20 फीसदी की गिरावट आई है लेकिन भविष्य में ये कंपनियां कर्ज घटाने के लिहाज से अच्छी स्थिति में बनी रहेंगी।’ घरेलू हॉट-रोल्ड कॉइल की कीमतें पिछले एक साल में करीब 80 फीसदी चढ़कर 66,000 रुपये प्रति टन पर पहुंच गई हैं। वित्त वर्ष 2021 की चौथी तिमाही में टाटा स्टील ने आय परिणाम घोषणा में अपना कर्ज कम से कम 1 अरब डॉलर सालाना तक घटाने की प्रतिबद्घता दोहराई। कंपनी का कुल कर्ज वित्त वर्ष 2020 के 116,328 करोड़ रुपये से 30 प्रतिशत घटकर 31 मार्च 2021 तक 81,901 करोड़ रुपये पर पहले ही आ चुका है।
रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड ऐंड पुअर्स (एसऐंडपी) ने कहा, ‘इस्पात की कीमतों में लगातार मजबूती से टाटा स्टील को ऋण बोझ घटाने संबंधी अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने में मदद मिलेगी।’
मोतीलाल ओसवाल ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है, ‘प्रचलित उच्च कीमतों को देखते हुए हम उम्मीद करते हैं कि टाटा स्टील के लिए मार्जिन दमदार रहेगा। वृद्धि के लिए पूंजीगत खर्च के बहाली के बावजूद कंपनी के लिए ऋण बोझ में उल्लेखनीय कमी आनी चाहिए।’ कंपनी फिलहाल ओडिशा के अपने कलिंगनगर संयंत्र की क्षमता को 50 लाख टन तक बढ़ा रही है। जिंदल स्टील ऐंड पावर (जेएसपीएल) ने घोषणा की है कि उसने अपने सावधि लेनदारों को 2,462 करोड़ रुपये की पूर्व अदायगी की है। कंपनी ने कहा, ‘यह (ऋण की पूर्व अदायगी) ऋण बोझ घटाने संबंधी कंपनी की वित्तीय रणनीति और अधिकतम पूंजी मेल के साथ एक मजबूत बहीखाता तैयार करने की रणनीति के अनुरूप है।’
पिछली कुछ तिमाहियों के दौरान जिंदल स्टील ने अपने ऋण बोझ में 20,000 करोड़ रुपये की कमी की है जो 31 मार्च 2017 को 45,900 करोड़ रुपये था। कंपनी विभिन्न उपायों के जरिये अपने बहीखाते को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। कंपनी ने पिछले साल ओमान परिसंपत्ति में अपनी पूरी हिस्सेदारी का विनिवेश किया था और उससे प्राप्त रकम का उपयोग ऋण बोझ घटाने में किया। पिछले महीने कंपनी ने अपने बिजली कारोबार को करीब 3,500 करोड़ रुपये में बेच दिया और इस रकम का इस्तेमाल भी ऋण बोझ घटाने में किया गया।
सरकारी इस्पात कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) ने भी अपने ऋण बोझ में उल्लेखनीय कमी की है। अप्रैल 2020 में कंपनी 52,290 करोड़ रुपये के ऋण बोझ तले दबी थी जिसे घटाकर 31 दिसंबर 2020 तक 44,308 करोड़ रुपये कर लिया गया। सेल की चेयरमैन सोमा मंडल ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2021 के दौरान कंपनी ने लगातार अपने उत्पादन वॉल्यूम  को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया और प्रदर्शन को बेहतर किया।’
सेंट्रम ब्रोकिंग के विश्लेषकों ने पिछले महीने एक रिपोर्ट में कहा था कि उनके आकलन के अनुसार सेल का शुद्ध ऋण बोझ वित्त वर्ष 2022 में घटकर 32,600 करोड़ रुपये रह जाएगा जो वित्त वर्ष 2020 में 53,400 करोड़ रुपये था। कंपनी ने परिचालन कुशलता बेहतर करने पर ध्यान दिया है।
प्रभुदास लीलाधर ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है, ‘ढांचागत तौर पर कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए लागत हुई वृद्धि से वैश्विक इस्पात लागत के वक्र में 100 डॉलर प्रति टन का इजाफा होगा। इसके अलावा वैश्विक मांग के लिए बेहतर परिदृश्य और चीन से आपूर्ति घटने के कारण इस्पात कीमतों में तेजी के आसार बने हुए हैं।’

First Published : May 11, 2021 | 11:07 PM IST