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समय पूर्व मानसून से किसानों के चेहरे पर फैली मुस्कान

Last Updated- December 07, 2022 | 5:46 AM IST

समय से पहले उत्तर प्रदेश में मानसून के आगमन से धान उगाने वाले किसानों के चेहरे खिल उठे हैं।


कृषि वैज्ञानिक जहां किसानों को समय रहते धान की बुआई की सलाह दे रहे हैं, वहीं मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि बीते सालों की तरह इस बार भी मानसून सामान्य से बेहतर ही रहेगा।

सामान्यत: उत्तर प्रदेश में बारिश की आमद हर साल 15 जून के आसपास होती है, पर इस साल मानसून एक सप्ताह पहले आ चुका है। बुंदेलखंड को छोड़कर उत्तर प्रदेश के लगभग सभी जिलों में दो दिन से जबर्दस्त पानी बरसने की खबर है। सबसे ज्यादा बारिश बीते 24 घंटों में शाहजहांपुर और कानपुर में हुई है। शाहजहांपुर में जहां पिछले 24 घंटे में 92.6 मिलीमीटर बारिश हुई है, तो कानपुर में यह आंकड़ा 54 मिलीमीटर का है।

बारिश की वजह से जहां धान के किसानों में खुशी की लहर है, वहीं बाराबंकी और मुरादाबाद के मेंथा उगाने वाले किसान बेहाल हैं। कृषि वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार सिंह के मुताबिक, तपिश कम होने से मेंथा की पैदावार प्रभावित हो रही है। उन्होंने बताया कि तापमान में कमी के चलते मेंथा से कम तेल निकल रहा है और किसानों के कुल लाभ में कमी आ रही है।

सिंह के अनुसार मानसून के समय से पहले आने से धन की फसल को फायदा हुआ है। पर तापमान में आई गिरावट की वजह से आम की फसल प्रभावित हुई है। इस समय दशहरी पकने के लिए कम से कम 38 से 42 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत है, जो समय पूर्व मानसून के चलते नहीं मिल पा रहा है।

हालांकि खाद्यान्न संकट से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने जो योजनाएं बनाई थीं, उन्हें भी समय पूर्व मानसून से राहत मिलती दिख रही है। यूपी सरकार ने इस साल नौ लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की हाइब्रिड खेती का लक्ष्य रखा था। मानसून के सही समय पर आने के बाद सरकार के लिए यह काम आसान हो गया है।

First Published - June 16, 2008 | 11:30 PM IST

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