केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान | फाइल फोटो
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को बीज विधेयक 2025 का मसौदा जारी किया, जिसमें दशकों पुराने बीज अधिनियम 1966 और बीज (नियंत्रण) आदेश 1983 को बदलने का प्रस्ताव है।
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इस मसौदे में केवल आपात स्थिति में ही मूल्य को नियमन के दायरे में रखने और बीजों का पता लगाने पर जोर दिया गया है और बीजों का प्रदर्शन खराब रहने पर किसानों को मुआवजा देने के मसले पर मसौदा खामोश है। बीज क्षेत्र को विनियमित करने के मामले में राज्यों को पर्याप्त शक्तियां नहीं दी गई हैं और इसमें ट्रांसजेनिक बीजों को भारत में आयात और बिक्री से रोकने के लिए पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (ईपीए) जैसे पर्याप्त कानूनी सुरक्षा उपाय नहीं किए गए हैं।
इस मसौदे पर 11 दिसंबर तक जनता प्रतिक्रिया दे सकेगी, जो भारत में बढ़ते बीज क्षेत्र के दौर में पिछले कुछ वर्षों के दौरान पहला बड़ा संशोधन है।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि मसौदा बीज विधेयक का उद्देश्य बाजार में उपलब्ध बीजों और रोपण सामग्री की गुणवत्ता को नियमन के दायरे में लाना, किसानों को सस्ती दर पर उच्च गुणवत्ता के बीच मुहैया कराना, नकली और खराब गुणवत्ता वाले बीजों की बिक्री पर अंकुश लगाना और किसानों को नुकसान से बचाना है। इसमें छोटे अपराधों को अपराध से बाहर करने का भी प्रस्ताव किया गया है, जिससे कारोबार सुगमता को बढ़ावा मिले और अनुपालन बोझ में कमी आए।
वहीं कुछ आलोचकों ने कहा कि मसौदा बीज विधेयक में बीज उत्पादक किसानों (कंपनियों के लिए बीज का उत्पादन करने वाले अनुबंध किसान) के अधिकारों की रक्षा के लिए पर्याप्त प्रावधान नहीं हैं क्योंकि इस वैधानिक ढांचे के अनुसार सभी बीज उत्पादकों को अनिवार्य रूप से पंजीकृत किए जाने का प्रावधान है।
अलायंस फॉर सस्टेनेबल ऐंड होलिस्टिक एग्रीकल्चर (एएसएचए)की संयोजक कविता कुरुगांती ने कहा, ‘पहली नज़र में ऐसा लगता है कि एक बड़े मसले का समाधान किया गया है और बीज अधिनियम के माध्यम से मूल्य का नियंत्रण होगा। लेकिन इसे आपातकालीन स्थितियों तक सीमित कर दिया गया है, न कि प्रस्तावित अधिनियम के तहत पंजीकृत सभी प्रकार के बीजों के मामले में ऐसा होना है। यह विधेयक दो मामलों में किसान विरोधी है। पहला- अगर खराब गुणवत्ता का बीज किसानों को मिलता है तो किसानों को मुआवजा दिए जाने का प्रावधान नहीं है। दूसरा- इसमें बीज उत्पादन करने वाले किसानों को संरक्षण नहीं दिा गया है, बीज उद्योग के लिए ठेके पर बीज उगाते हैं।