अमेरिका के साथ बढ़ते व्यापार टकराव के बीच मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में और गिरावट आई, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के संभावित हस्तक्षेप ने स्थानीय मुद्रा को रिकॉर्ड निचले स्तर पर जाने से रोकने में मदद की।
स्थानीय मुद्रा ने दिन के कारोबार में 87.89 प्रति डॉलर का निचला स्तर छुआ। यह फरवरी के 87.95 प्रति डॉलर के अपने रिकॉर्ड निचले स्तर से थोड़ा कम था। हालांकि आरबीआई के संभावित हस्तक्षेप से रुपया एक दिन पहले के 87.66 प्रति डॉलर के बंद स्तर की तुलना में 87.80 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, भारतीय रुपया 88 के नीचे खुलता। लेकिन आरबीआई की एनडीएफ में डॉलर की बिकवाली ने इसे और अधिक कमजोर नहीं होने दिया। हालांकि रुपये के 88 के पार जाने का खतरा अभी टला नहीं है क्योंकि ट्रंप अभी भी इस कोशिश में लगे हैं कि भारत रूसी तेल नहीं खरीदे अन्यथा वह उस पर अतिरिक्त टैरिफ लगा देंगे।
उन्होंने कहा, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने पहले की तरह सोमवार को भी शेयर बेचे और मंगलवार को भी यही स्थिति रही। तेल कंपनियां भी डॉलर खरीद सकती हैं क्योंकि अब वे रूस के अलावा अन्य जगहों से भी तेल खरीद रही होंगी। आरबीआई ने फिलहाल 87.84 के स्तर पर रुपये को रोका है। लेकिन देखना है कि वह कब तक ऐसा करता है। 87.80 का बंद भाव लगातार तीसरे दिन का सबसे निचला स्तर था।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को भारत द्वारा रूसी तेल की निरंतर खरीद और दोबारा बिक्री का हवाला देते हुए भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ में उल्लेखनीय इजाफे की धमकी फिर से दी। यह धमकी उनके द्वारा भारतीय आयातों पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा के ठीक एक सप्ताह बाद आई है। इसके जवाब में, भारत के विदेश मंत्रालय ने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए ‘सभी आवश्यक कदम’ उठाने का संकल्प लिया।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, टैरिफ में संभावित बढ़ोतरी की चिंता ने भारतीय रुपये पर दबाव डाला जो अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87.95 के अपने रिकॉर्ड निचले स्तर के पास बंद हुआ। कमजोर शुरुआत के बाद सरकारी बैंकों से डॉलर की अपेक्षित आवक और आयातित वस्तुओं की कम कीमतों के सहारे मुद्रा सीमित दायरे में रही। लेकिन रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुई। हालांकि विदेशी पूंजी की निरंतर निकासी और व्यापार अनिश्चितताओं के बीच सतर्कता बनी हुई है। अब ध्यान भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति घोषणा पर है। हालांकि यथास्थिति की उम्मीद है, लेकिन कोई भी आश्चर्यजनक ब्याज दर कटौती या रियायती संकेत बाजार के मनोबल को बढ़ावा दे सकते हैं।