facebookmetapixel
तमिलनाडु में 15,000 करोड़ रुपये के निवेश से विस्तार करेगी फॉक्सकॉनRetail Inflation: सितंबर में खुदरा महंगाई घटकर 1.54% रही, 8 साल में सबसे कमहमास ने 20 बंधकों को किया रिहा, इजरायल ने 1,900 फिलिस्तीनी कैदियों की अदला-बदली कीभारत में आत्महत्या की घटनाओं में 23% की बढ़ोतरी, नौकरी से तनाव और मानसिक उत्पीड़न बड़ा कारणबिजली मंत्रालय ने ब्रह्मपुत्र घाटी से 65 गीगावॉट पनबिजली के लिए ₹6.4 लाख करोड़ का मास्टर बनाया प्लानव्यापार वार्ता के लिए अमेरिका जाएगा भारतीय दल, वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल करेंगे नेतृत्वMuse Wearables ने भारत में स्मार्ट रिंग से तुरंत भुगतान के लिए NPCI रूपे नेटवर्क से की साझेदारीदिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: व्यापारियों को अदालत से ढील मिलने की उम्मीदभारत और कनाडा ने व्यापार, निवेश, ऊर्जा और दुर्लभ खनिज में सहयोग बढ़ाने का लिया फैसलागूगल और आंध्र प्रदेश करेंगे 1 गीगावॉट क्षमता वाले डेटा सेंटर के लिए समझौता

RBI के हस्तक्षेप से रुपये में सुधार, डॉलर के मुकाबले 88.68 पर स्थिर होकर हुआ बंद

सत्र के दौरान उतार-चढ़ाव भरे कारोबार के बाद स्थानीय मुद्रा 88.68 प्रति डॉलर पर लगभग स्थिर बंद हुई जबकि पिछली बार यह 88.69 प्रति डॉलर पर बंद हुई थी

Last Updated- October 13, 2025 | 9:46 PM IST
rupees
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

भारतीय रिजर्व बैंक के संभावित हस्तक्षेप के चलते सोमवार को रुपया अपने सर्वकालिक निचले स्तर से उबर गया। डीलरों ने बताया कि इस सप्ताह एक भारतीय व्यापार प्रतिनिधिमंडल के अमेरिका दौरे की खबरों ने रुपये को कुछ भावनात्मक सहारा दिया। सत्र के दौरान उतार-चढ़ाव भरे कारोबार के बाद स्थानीय मुद्रा 88.68 प्रति डॉलर पर लगभग स्थिर बंद हुई जबकि पिछली बार यह 88.69 प्रति डॉलर पर बंद हुई थी।

एक सरकारी बैंक के डीलर ने बताया, अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता की कुछ खबरें आई थीं और आरबीआई पिछले एक हफ्ते से ज्यादा समय से रुपये को 88.80 प्रति डॉलर से नीचे जाने से रोक रहा है। उन्होंने कहा, अगर यह स्तर टूटता है तो रुपया 89 प्रति डॉलर या उससे भी ऊपर जा सकता है। अमेरिका और भारत के बीच व्यापार वार्ता पर ध्यान के मद्देनजर रुपये ने 88.58 प्रति डॉलर और 88.80 प्रति डॉलर के दायरे में कारोबार किया।

सीआर फॉरेक्स के प्रबंध निदेशक अमित पबरी ने कहा, फेडरल दरों में कटौती की संभावना और भारत के व्यापार मोर्चों से सकारात्मक संकेतों के कारण रुपये के लिए कई अनुकूल बातें हो रही हैं। फिर भी भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता पर संकट बरकरार है और इसमें अभी तक कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है। जब तक कोई कामयाबी नहीं मिलती, रुपये पर बीच-बीच में दबाव आ सकता है, जिससे इसकी बढ़त सीमित हो सकती है।

चालू वित्त वर्ष में स्थानीय मुद्रा में 3.63 फीसदी की गिरावट आई है जबकि कैलेंडर वर्ष में इसमें 3.47 फीसदी की नरमी दर्ज की गई है।

बाजार की धारणा अमेरिका-भारत व्यापार संबंधों में हो रहे बदलावों को लेकर संवेदनशील बनी हुई है और इससे जुड़ी कोई भी खबर मुद्रा में अस्थिरता पैदा कर सकती है। बाजार के प्रतिभागियों ने कहा कि रुपये की हालिया कमजोरी, सुरक्षित निवेश की मांग से समर्थित मजबूत डॉलर के बाहरी दबावों और केंद्रीय बैंक द्वारा प्रबंधित घरेलू वजहों को दर्शाती है।

First Published - October 13, 2025 | 9:46 PM IST

संबंधित पोस्ट