facebookmetapixel
प्री-इंस्टॉल नहीं रहेगा संचार साथी, सरकार ने आदेश लिया वापसIndiGo की 2 दिन में 300 उड़ान रद्द, नए FDTL नियमों और पायलट कमी ने ऑपरेशन को प्रभावित कियालुढ़कता रुपया 90 के पार पहुंचा, व्यापार करार में अनि​श्चितता, FPI की निकासी से बढ़ा दबावEditorial: कमजोर रुपया निर्यात में मददगार, लेकिन भुगतान संतुलन पर बढ़ रहा दबावदलहन उत्पादन बढ़ाने की इच्छा कम: प्रतिस्पर्धी फसलों के मुकाबले कमजोर मुनाफारक्षा साझेदारी की कसौटी: भारत-रूस शिखर वार्ता से भविष्य के रिश्तों की परीक्षा2025 में इलेक्ट्रिक दोपहिया बिक्री 10% बढ़ी; टीवीएस, बजाज और एथर के बीच कड़ा मुकाबलापहले घरेलू मांग पूरी करने पर ध्यान देगी टीपी लिंक इंडिया, जल्द शुरू करेगी मैन्युफैक्चरिंगJSW-JFE का बनेगा ज्वाइंट वेंचर, ₹15,750 करोड़ में जापानी कंपनी खरीदेगी BPSL के स्टील कारोबार में 50% हिस्सेदारीमार्वल टेक्नॉलजी की R&D पावर बना भारत, 90% से ज्यादा प्रोडक्ट लाइन में दे रहा योगदान: नवीन बिश्नोई

RBI के हस्तक्षेप से रुपये में सुधार, डॉलर के मुकाबले 88.68 पर स्थिर होकर हुआ बंद

सत्र के दौरान उतार-चढ़ाव भरे कारोबार के बाद स्थानीय मुद्रा 88.68 प्रति डॉलर पर लगभग स्थिर बंद हुई जबकि पिछली बार यह 88.69 प्रति डॉलर पर बंद हुई थी

Last Updated- October 13, 2025 | 9:46 PM IST
rupees
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

भारतीय रिजर्व बैंक के संभावित हस्तक्षेप के चलते सोमवार को रुपया अपने सर्वकालिक निचले स्तर से उबर गया। डीलरों ने बताया कि इस सप्ताह एक भारतीय व्यापार प्रतिनिधिमंडल के अमेरिका दौरे की खबरों ने रुपये को कुछ भावनात्मक सहारा दिया। सत्र के दौरान उतार-चढ़ाव भरे कारोबार के बाद स्थानीय मुद्रा 88.68 प्रति डॉलर पर लगभग स्थिर बंद हुई जबकि पिछली बार यह 88.69 प्रति डॉलर पर बंद हुई थी।

एक सरकारी बैंक के डीलर ने बताया, अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता की कुछ खबरें आई थीं और आरबीआई पिछले एक हफ्ते से ज्यादा समय से रुपये को 88.80 प्रति डॉलर से नीचे जाने से रोक रहा है। उन्होंने कहा, अगर यह स्तर टूटता है तो रुपया 89 प्रति डॉलर या उससे भी ऊपर जा सकता है। अमेरिका और भारत के बीच व्यापार वार्ता पर ध्यान के मद्देनजर रुपये ने 88.58 प्रति डॉलर और 88.80 प्रति डॉलर के दायरे में कारोबार किया।

सीआर फॉरेक्स के प्रबंध निदेशक अमित पबरी ने कहा, फेडरल दरों में कटौती की संभावना और भारत के व्यापार मोर्चों से सकारात्मक संकेतों के कारण रुपये के लिए कई अनुकूल बातें हो रही हैं। फिर भी भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता पर संकट बरकरार है और इसमें अभी तक कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है। जब तक कोई कामयाबी नहीं मिलती, रुपये पर बीच-बीच में दबाव आ सकता है, जिससे इसकी बढ़त सीमित हो सकती है।

चालू वित्त वर्ष में स्थानीय मुद्रा में 3.63 फीसदी की गिरावट आई है जबकि कैलेंडर वर्ष में इसमें 3.47 फीसदी की नरमी दर्ज की गई है।

बाजार की धारणा अमेरिका-भारत व्यापार संबंधों में हो रहे बदलावों को लेकर संवेदनशील बनी हुई है और इससे जुड़ी कोई भी खबर मुद्रा में अस्थिरता पैदा कर सकती है। बाजार के प्रतिभागियों ने कहा कि रुपये की हालिया कमजोरी, सुरक्षित निवेश की मांग से समर्थित मजबूत डॉलर के बाहरी दबावों और केंद्रीय बैंक द्वारा प्रबंधित घरेलू वजहों को दर्शाती है।

First Published - October 13, 2025 | 9:46 PM IST

संबंधित पोस्ट