रेलवे कर रहा है अधिक कोयले की ढुलाई

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 3:35 AM IST

रेल के जरिये कोयले की ढुलाई 2019 के स्तर के पार चली गई है। चालू वित्त वर्ष में 15 जून तक कोयले का लदान 13.14 करोड़ टन रहा है जो वित्त वर्ष 2019 की समान अवधि के मुकाबले 1 फीसदी से थोड़ा अधिक है। यह आंकड़ा रेल मंत्रालय का है।
गर्मी में बिजली की मांग उच्चतम स्तर पर पहुंचने से पहले विद्युत संयंत्र कोयला जमा करते हैं जिससे कोयले के उत्पादन और इसकी ढुलाई में भी वृद्घि हुई है। इसी बीच विभिन्न राज्यों में औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियां भी शुरू होने लगी हैं जिन पर कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर में लगे कफ्र्यू के कारण रोक लगी हुई थी।
हालांकि, पिछले वर्ष 1 अप्रैल से 15 जून तक लगे लॉकडाउन के दौरान रेलवे का कोयला लदान 30 फीसदी घटकर 9.05 करोड़ टन रह गया था। इस साल 1 अप्रैल से 15 जून के बीच की अवधि में कोयला लदान में पिछले वर्ष के मुकाबले 45 फीसदी का इजाफा हुआ है जो कि इस आधार प्रभाव के कारण है।         
अप्रैल-मई 2019 में कोल इंडिया का उत्पादन 9.188 करोड़ टन रहा था जबकि उठाव 10.4 करोड़ टन रहा था। हालांकि 2021 में 8.4 करोड़ टन का उत्पादन और 10.9 करोड़ टन का उठाव अब भी 2019 के स्तर से कम है, लेकिन यह गिरावट रेलवे के लदान में नजर नहीं आता क्योंकि भारतीय रेल कई दूसरे ग्राहकों का कोयला भी ढोता है।
हालांकि, सीआईएल ने इस साल अप्रैल-मई में अपने उत्पादन में 2020 के मुकाबले 2.6 फीसदी की मामूली वृद्घि की और उठाव में 38 फीसदी की वृद्घि की।
इसके साथ ही सीआईएल ने चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीने में अपनी ई-नीलामी कोयला बिक्री में पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 52.5 फीसदी की वृद्घि दर्ज की।
कोयले की बढ़ी हुई मांग का संबंध विद्युत क्षेत्र में गर्मी में बिजली की मांग से है।
बिजली की उच्चतम मांग में इस साल मई में पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 2 फीसदी की वृद्घि हुई है। 15 जून को देश में उच्चतम बिजली मांग 166 गीगावॉट रही जो पिछले साल की इसी तारीख को 156 गीगावॉट रही थी। प्लांट लोड फैक्टर (पीएलएफ) या ताप बिजली के परिचालन अनुपात में भी इस साल पिछले वर्ष के मुकाबले भारी उछाल आई है। इस साल मार्च-अप्रैल में औसत पीएलएफ 66 फीसदी रहा जो 2020 की समान अवधि में 45 फीसदी रहा था। इसके अलावा राज्यों में औद्योगिक गतिविधि के चालू होने से विभिन्न विनिर्माण क्षेत्रों से भी मांग में वृद्घि हो रही है।
बढ़ी हुई हुई मांग से सीआईएल को फायदा हो रहा है लेकिन दूसरी ओर रेलवे के राजस्व में वृद्घि नहीं हो रही है जिसकी वजह कमाई में मामूली गिरावट है। इस साल 1 अप्रैल से 15 जून तक कोयला लदान से रेलवे की कमाई 7,414.5 करोड़ रुपये रहा जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 13,390 करोड़ रुपये रहा था।
इस मामले से अवगत अधिकारियों के मुताबिक कोयले की ढुलाई अपर्याप्त कमाई की वजह रेल से माल ढुलाई को आकर्षक बनाने के लिए रेलवे की ओर से दी जाने वाली कुछ रियायत है।
कोयले की अधिक मांग के साथ ही माल लदान में हुए सुधार को भी रेलवे के लिए अच्छा वक्त लाने की वजह समझा जा सकता है क्योंकि पिछले 18 महीनों में मालगाड़ी की गति दोगुनी हो चुकी है। आधिकारिक अनुमानों के मुताबिक करीब चार जोन में मालगाड़ी की औसत गति 50 किलोमीटर प्रति घंटे से भी अधिक दर्ज की गई है।

First Published : June 17, 2021 | 9:11 PM IST