निर्यात मांग में लगातार तेजी बने रहने से अगले हफ्ते जीरे की वायदा कीमत में मजबूती बरकरार रहने की संभावना है।
हालांकि पिछले हफ्ते कारोबार के अंतिम सत्रों में जुलाई अनुबंध के जीरे में अच्छी खरीदारी और मुनाफाखोरी के रुझान देखे गए। जानकारों का मानना है कि जीरे की कीमत में अभी कमी आने के कोई कारण नहीं हैं। वैसे भी इस समय देश में जीरे का भंडार काफी न्यून है।
मुंबई के एक विशेषज्ञ ने बताया कि हाजिर बाजार में लगातार अच्छी आपूर्ति होते रहने से बाजार में थोड़ा सुधार हो सकता है पर यह तात्कालिक ही होगा। बाजार में फिलहाल 55 किलोग्राम वाले जीरे की 14 हजार से 16 हजार बोरियां आ रही हैं। जबकि बाजार में मंदी के दिनों में यहां 8 हजार से 9 हजार बोरियों की आवक हो रही थी।
हालांकि बाजार से आ रही रिपोर्टों से संकेत मिल रहे हैं कि कीमतों के बढ़ने से घरेलू खरीदार बाजार से पूरी तरह अलग-थलग पड़ चुके हैं। कारोबारियों का कहना है कि ऐसा इसलिए हो रहा है कि जीरे की निर्यात मांग काफी है जिसके चलते कीमतें ऊपर ही ऊपर जा रही हैं। एकबार अंतरराष्ट्रीय मांग में गिरावट आ गयी तो अपने आप ही जीरे की कीमत पहले के स्तर पर चली आएंगी।
अगले हफ्ते जुलाई अनुबंध का तात्कालिक समर्थन स्तर 11,750 रुपये प्रति किलो रहने की संभावना है जबकि इसका प्रतिरोधी स्तर 12,205 रुपये प्रति क्विंटल तक जाने की उम्मीद है।एनसीडिईएक्स में ठीक अगले महीने के जीरे का भाव 11,915 रुपये पर बंद हुआ जो पिछले हफ्ते से 198 रुपये प्रति क्विंटल कम है। हालांकि इस दौरान जीरे की वायदा कीमत ने 12,119 रुपये प्रति क्विंटल के ऊंचे स्तर को भी छू लिया।
मक्के में गिरावट के आसार
मक्के के निर्यात पर रोक लगाने की कारोबारियों की मांग पर वाणिज्य सचिव के बयान के बाद जानकारों का मानना है कि अगले हफ्ते इसकी कीमत में थोड़ा सुधार हो सकता है। जिंस विशेषज्ञों की मान्यता है कि पिछले कुछ हफ्तों में मक्के के भाव में जो तेजी देखी गयी है और जिस तरह इसके भाव 1,000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास गए हैं वो स्थिति अगले हफ्ते नहीं रहेगी।
उनके अनुसार, निश्चित तौर पर इसमें कमी आएगी। मालूम हो कि इस शनिवार को ठीक अगले महीने के वायदा सौदे के लिए मक्के का भाव 958 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ था। हालांकि पिछले हफ्ते की तुलना में यह 13 रुपये कम था।
विश्लेषकों के मुताबिक, रेकॉर्ड महंगाई के चलते मांग के सुस्त पड़ने, निर्यात पर रोक लगाने का पोल्ट्री और स्टार्च उद्योग का दबाव और इसकी कीमत को कम करने के लिए सरकार की ओर से संभावित हस्तक्षेप के मद्देनजर मक्का बाजार में थोड़ी सुधार की गुंजाइश बन रही है। कारोबारी ने बताया कि अगले हफ्ते मक्के की कीमत में 15 से 20 रुपये क्विंटल कमी होने के आसार हैं।