फरवरी के पहले पखवाड़े में देश भर में वाहन ईंधन और रसोई गैस के दाम बढ़कर रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गए हैं। दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 1 फरवरी को 86.30 रुपये प्रति लीटर थी जो आज बढ़कर 89.29 रुपये प्रति लीटर हो गई। इसी दौरान यहां डीजल की कीमत 76.48 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 79.70 रुपये प्रति लीटर हो गई।
खबर है कि मध्य प्रदेश के भोपाल, महाराष्ट्र के परभणी और राजस्थान के तीन शहरों में प्रीमियम पेट्रोल की बिक्री 100 रुपये से अधिक कीमत पर हो रही है। वाहन के प्रदर्शन में सुधार की क्षमता के कारण प्रीमियम श्रेणी का पेट्रोल महंगा होता है।
तेल विपणन कंपनियां जहां हर रोज पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बदलाव करती हैं और उपभोक्ता कहीं न कहीं कीमतों में इजाफे के लिए तैयार रहते हैं वहीं तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी या रसाई गैस) की कीमतों में अचानक से वृद्घि होने पर बहुत से लोगों पर बोझ बढ़ गया है।
घरेलू एलपीजी सिलिंडर (14.2 किलोग्राम) की कीमत में पहले 1 फरवरी को 25 रुपये प्रति सिलिंडर की वृद्घि की गई और फिर से 14/15 फरवरी की मध्यरात्रि से 50 रुपये प्रति सिलिंडर की वृद्घि की गई। राष्ट्रीय राजधानी में एक के बाद एक और अप्रत्याशित (एलपीजी की कीमतों में अमूमन महीने भर बाद बदलाव होता है) वृद्घि से सिलिंडर की कीमत 769.00 रुपये प्रति सिलिंडर पर पहुंच गई।
इस वृद्घि का कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में बदलाव को बताया जा रहा है। तेल उत्पादक देश उत्पादन में कटौती करने जा रहे हैं जिससे कच्चे तेल की कीमतों में कमी आने के आसार है।
यमन में टकराव बढऩे से पश्चिमी एशिया में नए सिरे से तनाव उत्पन्न होने का भय है। भारत के लिए इसका मतलब आयात पर खर्च का बढऩा है जो कि भारत में आयात किए जाने वाले कच्चे तेल की कीमतों में नजर आ रहा है। भारत अप्रैल 2020 में जहां औसतन 19.90 डॉलर प्रति बैरल की दर से कच्चा तेल खरीद रहा था वहीं जनवरी 2021 के अंत में यह लगभग तीन गुना बढ़कर 54.79 डॉलर प्रति बैरल हो गई।
महंगे वाहन ईंधन का अर्थव्यवस्था पर स्पिलओवर प्रभाव पड़ता है जिसमें ट्रकों का किराया बढ़ जाता है। इंडियन फाउंडेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च ऐंड ट्रेनिंग के वरिष्ठ फेलो और समन्वयक एस पी सिंह ने कहा, ‘कच्चे तेल की कीमत बढऩे से ट्रक चालकों के लिए टायर और ईंधन की लागत बढ़ गई है। ट्रक चालक के लिए डीजल और टायर विभिन्न परिचालन लागत का 90 फीसदी होता है। जनवरी 2021 में ट्रक किरायों में दिसंबर 2020 के मुकाबले 6 से 8 फीसदी की वृद्घि हुई थी। ऐसा मुख्य तौर पर डीजल की उच्च कीमतों, टायरों और अन्य इनपुट के कारण से हुआ था। फरवरी के पहले पखवाड़े में विभिन्न ट्रंक मार्गों पर माल भाड़े की लागत में महज 2 से 2.5 फीसदी का इजाफा हुआ है लेकिन यह वास्तव में 4 से 4.5 फीसदी तक बढ़ चुका है।’
टायर की कीमतों पर असर इसलिए पड़ता है कि कच्चा माल (प्राकृतिक रबड़ से इतर) की व्यवस्था कच्चे तेल से की जाती है।
उपभोक्ताओं के लिए उच्च ईंधन लागतों के असर को समाप्त करने के लिए पहले की सरकारों द्वारा दिए जाने वाले सब्सिडी को अब कम कर दिया गया है।
आधिकारिक तौर पर सरकार ने घरेलू एलपीजी सिलिंडर को बुक कराने के समय पर उपभोक्ता को दी जाने वाली सब्सिडी की रकम को बताना रोक दिया है। राज्य सभा में प्रश्न का जवाब देते हुए भी केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उपभोक्ताओं को मिले सब्सिडी की रकम का जिक्र नहीं किया।
फिलहाल प्रति गैस सिलिंडर उपभोक्ताओं को दी जा रही सब्सिडी के संबंध में पूछे गए प्रश्न के जवाब में प्रधान ने कहा, ‘देश में एलपीजी सहित पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में संबंधित उत्पाद की लागतों से जुड़ा हुआ है। हालांकि, सरकार लगातार उपभोक्ता के लिए सब्सिडी वाले घरेलू एलपीजी की प्रभावी कीमत में बदलाव करती है और उपभोक्ताओं को सब्सिडी दर पर उत्पाद मुहैया कराई जाती है। घरेलू एलपीजी पर सब्सिडी में अंतरराष्ट्रीय बाजार में उत्पाद की कीमत में कमी/वृद्घि होने पर और सब्सिडी पर सरकार के निणर्य से कमी/वृद्घि होती है।’