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गेहूं मामले में खुले बाजार की नीति फरवरी तक बढ़ी

Last Updated- December 09, 2022 | 6:04 PM IST

राज्यों के फीके उत्साह के बावजूद घरेलू बाजार में कीमतें स्थिर रखने के लिए राज्यों को गेहूं आबंटित करने की केंद्र की योजना फरवरी तक के लिए बढ़ा दी गई है।


हालांकि अब तक इस योजना के प्रति राज्यों का रुझान बहुत ढीला-ढाला रहा है। इस योजना का यह हाल है कि केंद्र की ओर से कुल 9.09 लाख टन गेहूं आबंटन के बावजूद केवल पांच राज्यों ने 45 हजार टन गेहूं उठाया है।

खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हम राज्य सरकारों से आबंटित गेहूं उठाने की मांग लगातार करते रहे हैं, क्योंकि इसका भंडार केवल सरकार के पास ही है। अधिकारी ने बताया कि सरकार का लक्ष्य है कि अप्रैल में गेहूं की नई फसल आने तक गेहूं की कीमत स्थिर रखी जाए।

अधिकारी ने जानकारी दी कि खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं आबंटन की योजना फरवरी तक बढ़ा दी गई है। उल्लेखनीय है कि खाद्य पदार्थों की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार ने सितंबर से अक्टूबर की अवधि के लिए राज्यों को 9.09 लाख टन गेहूं आबंटित किया था।

बाद में इसे दिसंबर तक के लिए बढ़ा दिया गया था। राज्य सरकारों ने अपनी एजेंसियों को सीधे ग्राहकों को गेहूं बेचने का आदेश दिया था। जहां तक राज्यों के रुझान की बात है तो सबसे ज्यादा तमिलनाडु ने योजना के प्रति रुझान दिखाया।

इस राज्य ने कुल 50 हजार टन आबंटित गेहूं में से 41,787 टन गेहूं उठा लिया। इसके अलावा, असम, नगालैंड, दादर और नागर हवेली और चंडीगढ़ ने मिलकर 3,357 टन गेहूं का उठाव किया। सूत्रों के मुताबिक, कीमतें अधिक होने के चलते राज्यों ने गेहूं उठाव को लेकर ठंडा उत्साह दिखाया।

हालांकि इसके अलावा कई और वजहें भी इसके लिए जिम्मेदारी रही हैं। हाल में गुजरात के एक सहकारी महासंघ ने केंद्र सरकार से मांग की कि यदि राज्य सरकार गेहूं का उठाव नहीं करते तो इसका आबंटन सीधे सरकारी एजेंसियों को किया जाए।

First Published - January 6, 2009 | 10:00 PM IST

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