facebookmetapixel
प्रीमियम स्कूटर बाजार में TVS का बड़ा दांव, Ntorq 150 के लिए ₹100 करोड़ का निवेशGDP से पिछड़ रहा कॉरपोरेट जगत, लगातार 9 तिमाहियों से रेवेन्यू ग्रोथ कमजोरहितधारकों की सहायता के लिए UPI लेनदेन पर संतुलित हो एमडीआरः एमेजॉनAGR बकाया विवाद: वोडाफोन-आइडिया ने नई डिमांड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख कियाअमेरिका का आउटसोर्सिंग पर 25% टैक्स का प्रस्ताव, भारतीय IT कंपनियां और GCC इंडस्ट्री पर बड़ा खतरासिटी बैंक के साउथ एशिया हेड अमोल गुप्ते का दावा, 10 से 12 अरब डॉलर के आएंगे आईपीओNepal GenZ protests: नेपाल में राजनीतिक संकट गहराया, बड़े प्रदर्शन के बीच पीएम ओली ने दिया इस्तीफाGST Reforms: बिना बिके सामान का बदलेगा MRP, सरकार ने 31 दिसंबर 2025 तक की दी मोहलतग्रामीण क्षेत्रों में खरा सोना साबित हो रहा फसलों का अवशेष, बायोमास को-फायरिंग के लिए पॉलिसी जरूरीबाजार के संकेतक: बॉन्ड यील्ड में तेजी, RBI और सरकार के पास उपाय सीमित

सिर्फ समर्थन मूल्य से नहीं बढ़ेगा दलहन-तिलहन उत्पादन

किसानों को अधिक पानी खपत वाली फसल धान की ओर से दलहन और तिलहन की ओर मोड़ने के मकसद से यह कदम उठाया गया है।

Last Updated- June 23, 2024 | 10:37 PM IST
farmer

केंद्र सरकार ने हाल ही में खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5 से 12.7 फीसदी तक बढ़ा दिया है, जिसमें तिहलन व दलहन की कीमतों में मोटे अनाज की तुलना में ज्यादा बढ़ोतरी की गई है।

किसानों को अधिक पानी खपत वाली फसल धान की ओर से दलहन और तिलहन की ओर मोड़ने के मकसद से यह कदम उठाया गया है। साथ ही यह भी अपेक्षा की गई है कि उत्पादन बढ़ने से आयात बिल में कमी आएगी। बहरहाल पिछले कुछ वर्षों में इस रणनीति का मिला-जुला असर रहा है।

आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2014-15 से 2022-23 के दौरान धान के समर्थन मूल्य में 50 फीसदी बढ़ोतरी के बावजूद उसका रकबा 8.43 फीसदी ही बढ़ा है। इस अवधि के दौरान गेहूं का समर्थन मूल्य 46.55 फीसद बढ़ा है, जबकि गेहूं की बोआई का रकबा महज 0.19 फीसदी बढ़ा है।

इसके विपरीत चने का समर्थन मूल्य करीब 68 फीसदी बढ़ा है, जबकि इसके रकबे में 26.91 फीसदी वृद्धि हुई है। सोयाबीन का समर्थन मूल्य करीब 68 फीसदी बढ़ा है और उसके रकबे में 20 फीसदी वृद्धि हुई है।

आंकड़ों के आधार पर ऐसा लगता है कि समर्थन मूल्य बढ़ाने से दलहन और तिलहन के उत्पादन को प्रोत्साहन मिल सकता है, लेकिन वह किसानों को गेहूं और धान छोड़कर अन्य फसल उपजाने की ओर सफलतापूर्वक नहीं मोड़ पाएगा।

इसकी एक वजह यह है कि अतिरिक्त धान और गेहूं की 100 फीसदी खरीद सरकार कर लेती है, जिससे किसानों को आमदनी की सुरक्षा मिलती है। वहीं अन्य फसलों की सरकारी खरीद का भरोसा नहीं है।

इसके अलावा बाजार की भी अहम भूमिका होती है। निर्यात पर प्रतिबंध और सस्ते आयात के माध्यम से बाजार का भाव दबाने की कोशिश होती है, जिससे किसान धान और गेहूं छोड़कर तिलहन और दलहन की ओर जाने को लेकर हतोत्साहित होते हैं।

First Published - June 23, 2024 | 10:37 PM IST

संबंधित पोस्ट