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प्याज 1 रुपये किलो? पढ़ें MP की नीमच सब्जी मंडी से ग्राउंड रिपोर्ट

मध्य प्रदेश, राजस्थान के जोधपुर सहित अन्य इलाकों में भी प्याज की बंपर फसल हुई है, जिसकी वजह से बाजार में प्याज की आपूर्ति अधिक हो गई है और कीमतें गिर गई हैं।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- May 29, 2025 | 5:07 PM IST

मध्य प्रदेश की नीमच कृषि उपज मंडी में प्याज की कीमतों में लगातार गिरावट के कारण किसान भारी आर्थिक नुकसान झेल रहे हैं। प्याज के ढेर मंडी में लगे हुए हैं, लेकिन कीमतें इतनी कम हैं कि किसान इसे बेचने से इनकार कर रहे हैं। प्याज की फसल अच्छी होने के बावजूद, इसकी कीमत सिर्फ 1 से 1.10 रुपये प्रति किलो तक आ गई है, जो किसानों की लागत भी पूरी नहीं कर पा रही है।

कुछ किसान प्याज को इतनी कम कीमत पर बेचने को मजबूर हैं जबकि कई किसान अपनी उपज मंडी में छोड़ कर चले जा रहे हैं।

क्या कह रहे प्याज किसान

किसान गिरधारी लाल धाकड़ ने कहा कि मंडी में प्याज की बोली मात्र एक रुपये प्रति किलो से शुरू हो रही है, जो बिल्कुल भी उचित नहीं है। किसानों को सही दाम नहीं मिल पा रहे हैं और सरकार से वे मदद की उम्मीद कर रहे हैं।

किसान रामेश्वर लाल धाकड़ ने बताया कि वे ट्रैक्टर से लगभग 30 क्विंटल प्याज मंडी लेकर आए हैं, लेकिन ट्रैक्टर लाने-ले जाने का खर्चा ही लगभग 7,000 रुपये हो गया। इस कीमत पर उन्हें केवल 3,200 से 3,300 रुपये ही मिल पाएंगे। खेत की लागत अलग है, जो मिलाकर उनका भारी घाटा हो रहा है। वे मजबूर होकर बोली रद्द कर घर वापस प्याज लेकर जा रहे हैं और इसे अपने पशुओं को खिलाने को मजबूर हैं।

क्या कहते है सरकारी अधिकारी

नीमच मंडी के निरीक्षक समीर दास के मुताबिक, मंडी में आज लगभग 800 कट्टे प्याज की आवक हुई है। प्याज का भाव डेढ़ सौ रुपये क्विंटल से घट कर 110 रुपये क्विंटल तक बिक रहा है। उन्होंने बताया कि इस बार न केवल मध्य प्रदेश बल्कि राजस्थान के जोधपुर सहित अन्य इलाकों में भी प्याज की बंपर फसल हुई है, जिसकी वजह से बाजार में प्याज की आपूर्ति अधिक हो गई है और कीमतें गिर गई हैं।

किसानों का कहना है कि प्याज की ज्यादा आवक और मांग में कमी के कारण वे भारी नुकसान में हैं। इसके साथ ही खेत से मंडी तक लाने का भाड़ा भी नहीं निकल पा रहा है। प्याज की कीमतों में सुधार के कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिख रहे हैं, जिससे किसानों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।

किसान अब सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि वह जल्द से जल्द न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) या अन्य किसी मदद के जरिए उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने में सहायता करे, ताकि वे इस संकट से बाहर निकल सकें।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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First Published : May 29, 2025 | 4:20 PM IST