महाराष्ट्र में प्याज के दाम एक बार फिर सुर्खियों में है। खाने वालों को प्याज के दाम जहां राहत दे रहा है वहीं किसानों को रुला रहा है।
प्याज की गिरती कीमतों से निराश किसानों ने मंडी में प्याज की बिक्री रोक दी तो सियासतदानों ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। मजेदार बात यह है कि सरकार और विपक्ष दोनों के किसानों के साथ खड़े होने का दावा कर रही है।
महाराष्ट्र में जारी बजट सत्र का दूसरा दिन प्याज के नाम रहा है। महाराष्ट्र विधानसभा में मंगलवार को पहुंचे एनसीपी नेताओं के सिर पर टोकरी थी, जिसमें प्याज भरा था।
विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे की प्याज की गिरती कीमतों पर चर्चा की मांग के बाद मंगलवार को विधान परिषद की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।
ठाकरे ग्रुप के दानवे ने प्याज की बढ़ती कीमतों के मुद्दे पर ऊपरी सदन में चर्चा की मांग की, लेकिन उपाध्यक्ष नीलम गोरे ने इस पर चर्चा से इनकार कर दिया जिसके बाद सत्तारूढ़ एवं विपक्षी दलों के विधायकों में बहस हुई और एक दूसरे पर आरोप लगाए। हंगामा जारी रहने की वजह से सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई ।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विधानसभा में बोलते हुए कहा कि सरकार प्याज उत्पादकों के साथ मजबूती से खड़ी है और नेफेड से प्याज की खरीद शुरू हो गई है।
उन्होंने कहा कि यह सरकार किसानों को न्याय दे रही है। सरकार ने भी प्रभावित किसानों को मानक से अधिक मदद की है। नेफेड को अतिरिक्त प्याज की खरीद का अनुरोध किया गया, खरीद शुरू हो गई है। अभी तक 2.38 लाख मीट्रिक टन प्याज की खरीद की जा चुकी है और जहां भी खरीद केंद्र बंद है, वहां शुरु किया जाएगा। प्याज के निर्यात पर भी रोक नहीं है। प्याज उत्पादक किसानों को जरुरत के मुताबिक मदद की घोषणा की जाएगी।
एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव में प्याज की कीमत घटकर दो से चार रुपये प्रति किलो रह गई है, जिससे किसान नाराज हैं।
विपक्षी विधायकों ने किसानों को प्याज के उचित मूल्य दिए जाने की मांग को लेकर विधानसभा के बाहर प्रदर्शन और अंदर जमकर हंगामा किया।
महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और विधायक नाना पटोले ने कहा कि सरकार से किसानों के सवालों का जवाब मांगा जाएगा। राज्य में किसानों की हालत बहुत खराब है और कपास, धान, अरहर, मक्का, प्याज और सोयाबीन उत्पादक किसानों बर्बाद हो गए हैं। कृषि उपज का मूल्य नहीं मिलने से किसान आर्थिक संकट में हैं। किसानों को प्याज सड़कों पर फेंकना पड़ रहा है।
महाराष्ट्र राज्य कांदा उत्पादक संगठन के नेता भरत दिघोले ने कहा कि राज्य विधानमंडल के बजट सत्र के दौरान सरकार को तुरंत प्याज के लिए 1,500 रुपये प्रति क्विंटल के अनुदान की घोषणा करनी चाहिए और उसे मौजूदा समय में 3,4, 5 रुपये प्रति किलोग्राम की कीमत पर बेचे जाने वाले प्याज को 15 रुपये से 20 रुपये प्रति किग्रा की कीमत पर खरीदना चाहिए। अगर ये दोनों मांगें नहीं मानी गईं, तो लासलगांव एपीएमसी में प्याज की नीलामी बिल्कुल भी शुरु नहीं होगी।
सोमवार को लांसलगांव में प्याज का न्यूनतम मूल्य 200 रुपये प्रति क्विंटल, अधिकतम भाव 800 रुपये प्रति क्विंटल और औसत भाव 400-450 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। नतीजतन, महाराष्ट्र राज्य कांदा उत्पादक संगठन के नेतृत्व में नाराज किसानों ने प्याज की नीलामी बंद कर दी और आंदोलन शुरु कर दिया।