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मजबूत रहेगी तेल की धार

Last Updated- December 06, 2022 | 10:01 PM IST

नाइजीरिया और इराक से तेल की आपूर्ति बाधित करने की आतंकी धमकी आने और एशिया में मांग बढ़ने से कच्चे तेल की कीमत में बुधवार को थोड़ी घट-बढ़ हुई।


इससे पहले मंगलवार को न्यू यॉर्क में तेल की कीमत 122 डॉलर के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गयी थी। तेल कंपनी रॉयल डच शेल के मुताबिक, इस सप्ताह के अंत में नाइजीरिया में हुए एक आतंकी हमले में एक पेट्रोल पंप को क्षतिग्रस्त कर दिया गया।


वहीं ताजा हिंसा के चलते नाइजीरिया से तेल की आपूर्ति में कटौती हुई है। चीन के सुरक्षा मामले की आधिकारिक पत्रिका में दावा किया गया है कि दुनिया में ईंधन के दूसरे सबसे बड़े उपभोक्ता देश चीन में आर्थिक विकास की दर मौजूदा तिमाही में 10.8 फीसदी रहेगी। वाशिंगटन में डायचे बैंक के मुख्य ऊर्जा अर्थशास्त्री एडम सिमेंसिकी के अनुसार, तेल की कीमत में परिवर्तन तो होता रहेगा।


उनके मुताबिक, जब तक मांग और आपूर्ति की बुनियादी स्थितियों के साथ-साथ लोगों की मानसिकता में कोई परिवर्तन नहीं होगा, तेल की कीमतें रोज नए रिकॉर्ड बनाती रहेंगी। न्यू यॉर्क मर्केंटाइल एक्सचेंज में हुए कारोबार के कुछ देर बाद सिडनी में जून डिलीवरी के लिए क्रूड ऑयल की कीमत में 7 सेंट की गिरावट दर्ज की गई और यह 121.77 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर बंद हुआ।


1983 में यहां शुरू हुए वायदा कारोबार के बाद पहली बार तेल का वायदा मूल्य 121.84 डॉलर तक जा पहुंचा है। इस तरह, पिछले साल भर के दौरान कच्चे तेल की कीमत में लगभग 98 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है।


गोल्डमैन सैक्स समूह इंक के एक विश्लेषक अर्जुन एन.मूर्ति ने एक रिपोर्ट में बताया कि यदि कच्चे तेल की आपूर्ति में इसी तरह बाधा जारी रही तो इसके भाव 150 से 200 डॉलर तक जा सकते हैं। आने वाले समय में चीन की अर्थव्यवस्था में मंदी आएगी जिससे तेल की कीमत में कमी आएगी।


चीन का विकास


अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने 11 अप्रैल को बताया कि चीन में तेल की खपत 4.7 फीसदी बढ़कर 78.9 लाख बैरल रोज हो जाएगी। जबकि इस दौरान तेल की वैश्विक मांग 1.5 फीसदी बढ़कर 8.723 करोड़ बैरल रोज होने की उम्मीद है। मालूम हो कि पेरिस की यह संस्था 27 औद्योगिक देशों की सलाहकार है।


सेंट लुईस स्थित वाकोविया सिक्योरिटीज के ऊर्जा विशेषज्ञ एरिक विट्टान्योर ने बताया कि इस समय कच्चा तेल बाजार शीर्ष पर पहुंचने का थोड़ा संकेत दे रहा है।  दुनिया के कई बड़े तेल उत्पादक देशों में कई वजहों से उत्पादन में कमी आयी है।


ओपेक का उत्पादन


पिछले महीने ओपेक ने 3.21 करोड़ बैरल रोज का औसत उत्पादन किया है। जबकि यह मार्च में ओपेक के उत्पादन से 3.2 लाख बैरल कम है। उधर नाइजीरिया का उत्पादन भी 1.6 लाख बैरल गिरकर 18.8 लाख बैरल रोज हो गया है, जो अगस्त 1999 के बाद से यह इस देश का सबसे कम उत्पादन है।

First Published - May 7, 2008 | 11:07 PM IST

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