आसानी से भुनाए न जाने वाले सौदों (इलिक्विड कांट्रैक्ट्स) को कामयाब बनाने के लिए सख्त कदम उठाने के वायदा बाजार आयोग के निर्देश का जवाब देने के लिए कमोडिटी एक्सचेंजों को 15 दिन का समय दिया गया है। वैसे एफएमसी के अध्यक्ष बी. सी. खटुआ ने साफ कर दिया है कि ऐसे किसी अनुबंध को बंद करने की उनकी कोई योजना नहीं है।
एफएमसी ने इन एक्सचेंजों को कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) देने के लिए 15 दिन का समय दिया है। अभी पिछले ही हफ्ते एफएमसी ने एक बैठक आयोजित की थी जिसमें आयोग के अध्यक्ष बी. सी. खटुआ ने कमोडिटी एक्सचेंजों के वरिष्ठ अधिकारियों से सौदों के तरलीकरण की किल्लत की वजह पूछी थी। यही नहीं उन्होंने जानना चाहा था कि ऐसे जिंसों में प्रतिभागियों को आकर्षित करने का तरीका और माध्यम क्या होगा। लेकिन एक्सचेंजों ने सर्वसम्मति से कहा कि जिंसों की विविधता, आकार में फर्क, हाजिर बाजार में
इनका ज्यादातर कारोबार केवल मौसमी होने के चलते बाजार में इन जिंसों की मांग काफी कम होती है। हालांकि एक्सचेंजों
ने एफएमसी को आश्वस्त
किया था कि उनके द्वारा इन जिंसों का कारोबार बढ़ाने की तमाम कोशिशें की जाएंगी ताकि ये प्रचलित जिंसों की फेहरिस्त में शामिल हो सकें।
नाम न बताने की शर्त पर एक भागीदार ने बताया कि नैशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज और एफएमसी के कई भागीदार इलिक्विड सौदों को दुबारा लॉन्च करने के बारे में विचार–विमर्श कर रहे हैं। इन अनुबंधों में भागीदारों की संख्या में बढ़ोतरी करने के लिए खटुआ ने सुझाव दिया कि जरूरत पड़ने पर ऐसे अनुबंध की विशिष्टताआें में परिवर्तन किया जाना चाहिए। वैसे एक्सचेंजों का कहना है कि इन सौदों में कोई भी परिणाम दिखने में छह माह का समय लगेगा। साल की शुरुआत में एफएमसी ने किसी जिंस के वायदा कारोबार को मंजूरी देते वक्त उसकी व्यावहारिकता और नियम–कायदों की कड़ी जांच का बंदोबस्त करने का प्रस्ताव दिया था। सूत्रों के अनुसार, अभी यह बंदोबस्त शुरुआती चरण में है।
बीते कुछ दिन में एक्सचेंज ने कई अनुबंधों को लॉन्च किया जो या तो बंद हो गए या कारोबारियों ने इससे मुंह मोड़ लिया। उदाहरण के लिए, एमसीएक्स में अभी हाल ही में लॉन्च हुए प्लैटिनम, जौ, गुड़ और चीनी अनुबंध में जहां कारोबर नहीं हुआ वहीं एनसीडीईएक्स में मेंथा तेल, पीवीसी, पॉलीप्रोपिलीन, अल्युमीनियम और बं्रेट कच्चा तेल में कारोबारियों ने कोई रुचि नहीं दिखाई। नैशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एनएमसीई) की बात करें तो यहां ईसबगोल, तांबा, अल्युमीनियम, निकल आदि अनुबंधों में कारोबार नहीं हुआ। खटुआ का कहना है कि देश का वायदा कारोबार 60 साल के प्रतिबंध के बाद तकरीबन चार साल पहले खुला है। इसलिए कमोडिटी एक्सचेंजों को नए–नए लॉन्च हुए अनुबंधों में लोगों को आकर्षित करने में कुछ क्त लगेगा। निश्चित तौर पर ऐसे अनुबंधों में खरीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए और वक्त देने की जरूरत है। ऐसे में इन इलिक्विड जिंसों के कारोबार को बंद करने की कोई योजना नहीं है।