अमेरिका की दवा कंपनी, इलाई लिली की डायबिटीज और मोटापा कम करने की दवा मॉनजारो के भारत में गुरुवार को लॉन्च करने की घोषणा के बाद विश्लेषकों का कहना है कि यह दवा लॉन्च करना कंपनी के लिए एक बड़ा अवसर हो सकता है भले ही कुछ हजार मरीजों का ही इलाज किया जाए। वहीं दूसरी ओर डॉक्टर चेतावनी देते हैं कि यह दवा सभी डायबिटीज मरीजों के लिए नहीं है और इसका उपयोग सावधानी से किया जाना चाहिए।
लिली ने सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) से मार्केटिंग की मंजूरी मिलने के बाद एक खुराक वाली शीशी में यह दवा लॉन्च की। इसकी 2.5 मिलीग्राम की शीशी की कीमत 3500 रुपये है जबकि 5 मिलीग्राम 4375 रुपये की है।
फोर्टिस हॉस्पिटल मुलुंड के कंसल्टेंट-बेरिएट्रिक और लैप्रोस्कोपिक सर्जरी, डॉ. हृषिकेश सालगांवकर ने इसके सामान्य खुराक पैटर्न को समझाया। उन्होंने कहा, ‘यह 2.5 मिलीग्राम की खुराक से शुरू होता है जो सप्ताह में एक बार (इंजेक्शन के रूप में) दिया जाता है और यदि मरीज इसे अच्छी तरह से सहन करता है तब हर 4 सप्ताह में इसे धीरे-धीरे बढ़ाया जाता है (अधिकतम 15 मिलीग्राम प्रति सप्ताह)।’
बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत करते हुए सिस्टेमैटिक्स के विश्लेषक विशाल मनचंदा ने कहा कि यदि किसी मरीज को सबसे अधिक खुराक यानी 15 मिलीग्राम प्रति सप्ताह दी जाती है तब इलाज की कीमत 40,000 रुपये प्रतिमाह तक जा सकती है। इस दर के हिसाब से इलाज की लागत 4.8 लाख रुपये प्रति वर्ष हो सकती है।
मनचंदा ने यह भी कहा कि लिली के साथ आपूर्ति से जुड़ी बाधाएं हैं और उन्होंने कीमतें भी अधिक रखी हैं। उन्होंने कहा, ‘इससे उन्हें कीमत अधिक करने में मदद मिलेगी। हालांकि फिलहाल यह अमेरिका में कमी वाली सूची में शामिल नहीं है फिर भी इसकी आपूर्ति अब भी कम हो सकती है। अगर उन्हें 10,000 मरीज भी मिलते हैं तब भी यह 500 करोड़ रुपये का अवसर है।’
हालांकि यह दवा सभी डायबिटीज मरीजों को नहीं दी जा सकती है। सलगांवकर ने कहा कि यह दवा उन मरीजों के इस्तेमाल के लिए है जब डायबिटीज संतोषजनक तरीके से नियंत्रित नहीं होता है।