सरकार ने प्याज के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को 25 डॉलर घटाकर 160 डॉलर प्रति टन कर दिया है। इससे प्याज के निर्यात में बढ़ोतरी होगी तथा जबर्दस्त उत्पादन से प्याज की कीमतों में आई गिरावट को संभाला जा सकेगा।
न्यूनतम निर्यात मूल्य की नई दरें 1 जून से प्रभावी हो गई हैं। यह निर्यात मूल्य पिछले वर्ष जून के एमईपी, 310 डॉलर प्रति टन, का लगभग आधा है। दिल्ली की मंडी में प्याज का थोक मूल्य जनवरी महीने के 400-700 रुपये प्रति क्विंटल से गिर कर अभी 250-400 रुपये के स्तर पर आ गया है जबकि खुदरा मूल्य इसी अवधि में 15 रुपये प्रति किलो से घट कर 6 रुपये प्रति किलो हो गया है।
राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन परिसंघ (नैफेड) के एक अधिकारी ने कहा, ‘ज्यादा निर्यात हो सके यह सुनिश्चित करने के लिए हमने मूल्यों में कटौती की है। इससे घरेलू मूल्यों में स्थिरता आएगी जिसमें जबर्दस्त उत्पादन की वजह से लगातार गिरावट देखी जा रही है।’ नैफेड मासिक आधार पर एमईपी की समीक्षा करता है।
नेशनल हॉर्टिकल्चर रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट फाउंडेशन (एनएचआडीएफ) के अनुसार वर्ष 2007-08 में 74.5 लाख टन प्याज के उत्पादन का अनुमान है जो पिछले वर्ष के 66.6 लाख टन की तुलना में लगभग 12 प्रतिशत अधिक है। आलू एवं प्याज व्यापारी असोसिएशन दिल्ली के महासचिव राजिन्दर शर्मा ने कहा, ‘एमईपी में कटौती का हम स्वागत करते हैं क्योंकि इसकी बिक्री पिछले वर्ष की कीमत से 50 प्रतिशत कम पर हो रही है।
इन मूल्यों पर किसान भी अपनी लागत नहीं निकाल पाये हैं। लाभ में कमी के कारण किसान अगले सीजन से उत्पादन में कटौती के लिए बाध्य हो सकते हैं।’ वर्तमान वर्ष के अप्रैल-मई की अवधि में प्याज के निर्यात में 16.5 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।